उवासगदसाओ | Uvasag Dasao

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Uvasag Dasao (1968) Ac 4182 by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पठमे आणन्दे अज्ययणे ११ खु, देवाशुष्पिया ! मए समणस्स भगवझों मददावीरस्स अन्तिपए घम्मे निसन्ते, से वि य धघम्से मे इच्छिए, पडिच्छिप, अभिरुइप; त॑ गच्छ णं॑ तुमं, देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीर वन्दाहि ज्ञाव पउज़ुचासाहि, समणस्स भगवओ्ों मददावीरस्स अन्तिप पब्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवा- लसविद्दं गिददिघम्में पडिवज्जाहि ॥ ५८ ॥ तप ण॑ सा खिवनन्दा भारिया आणन्देण समणोवासपण पं बुत्ता समाणा दृद्वतुट्टा कोडम्बियपुरिसे सद्दावेइ, २ ता पव॑ वयासी-'' खिप्पामेव लहुकर ण०'”” जाव पडजुवासइ ॥ ९, || तप ण॑ समणे भगवं मद्दादीरे सिचनन्दाण तीखे य मदद ज्ञाव घम्म॑ कहेइ ॥ ६० ॥ तप णं॑ सा सिवनन्दा समणस्स भगवओ मददावीरस्स अन्तिए घम्मं सोचा निसम्म दृद्द जाय गिह्घिम्में पडिव- ज्ञइ, २ सा तमेव धघम्मियं जाणप्पघरं दुरूदइ, सता जामेव दिखि' पाउब्भूया, तामेव दिखि पड़िगया ॥ देश ॥ *' भन्ते ! ” सति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वन्दइ न्मसइ, २ सा पवं वयासी-“ पड़ णं, भन्ते ! आणन्दे सम- णोचासप देवाणुप्पियाणं अन्तिप मुण्डे जाव पबव्चइसप ? ?? “नो इणट्ठे समट्ट । गोयमा !आणन्दे ण॑ं समणोवासप बहुईं बासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिइई, २ सा ज्ञाव सोहस्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताप उववज्चिहिइई ” । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइ ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं॑ आणन्द्स्स वि समणोवासगस्स चत्तारि पढिभोवमाइं ठिइ पण्णत्ता ।! घर ॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now