उवासगदसाओ | Uvasag Dasao
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पठमे आणन्दे अज्ययणे ११
खु, देवाशुष्पिया ! मए समणस्स भगवझों मददावीरस्स
अन्तिपए घम्मे निसन्ते, से वि य धघम्से मे इच्छिए, पडिच्छिप,
अभिरुइप; त॑ गच्छ णं॑ तुमं, देवाणुप्पिया ! समणं भगवं
महावीर वन्दाहि ज्ञाव पउज़ुचासाहि, समणस्स भगवओ्ों
मददावीरस्स अन्तिप पब्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवा-
लसविद्दं गिददिघम्में पडिवज्जाहि ॥ ५८ ॥
तप ण॑ सा खिवनन्दा भारिया आणन्देण समणोवासपण
पं बुत्ता समाणा दृद्वतुट्टा कोडम्बियपुरिसे सद्दावेइ, २ ता
पव॑ वयासी-'' खिप्पामेव लहुकर ण०'”” जाव पडजुवासइ
॥ ९, ||
तप ण॑ समणे भगवं मद्दादीरे सिचनन्दाण तीखे य मदद
ज्ञाव घम्म॑ कहेइ ॥ ६० ॥
तप णं॑ सा सिवनन्दा समणस्स भगवओ मददावीरस्स
अन्तिए घम्मं सोचा निसम्म दृद्द जाय गिह्घिम्में पडिव-
ज्ञइ, २ सा तमेव धघम्मियं जाणप्पघरं दुरूदइ, सता जामेव
दिखि' पाउब्भूया, तामेव दिखि पड़िगया ॥ देश ॥
*' भन्ते ! ” सति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वन्दइ
न्मसइ, २ सा पवं वयासी-“ पड़ णं, भन्ते ! आणन्दे सम-
णोचासप देवाणुप्पियाणं अन्तिप मुण्डे जाव पबव्चइसप ? ??
“नो इणट्ठे समट्ट । गोयमा !आणन्दे ण॑ं समणोवासप बहुईं
बासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिइई, २ सा ज्ञाव
सोहस्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताप उववज्चिहिइई ” ।
तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइ ठिई
पण्णत्ता । तत्थ णं॑ आणन्द्स्स वि समणोवासगस्स चत्तारि
पढिभोवमाइं ठिइ पण्णत्ता ।! घर ॥
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