भौतिक विज्ञान में क्रान्ति | Bhautik Vigyan Men Kranti
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्फ्न
आधी से अधिय' वा चान हमें ययाथनापूयत हा ही यही सपा । सय ता यह € कि
निवाय वी वियी एव लासणिए राहि का जितना ही अधिय ययाथ तान हमें हागा
उतनी ही अधिए अनिधि्यित उससे पयम्मित दूसरी राशि हो जायगी । इस वात से
प्राइतिय घटनाओा वी प्रावनिर्णीतता वे सम्वय में प्राथीन लौर नयीन भौतित
वित्तान में बहुत महत्पपूण नन्तर पैदा हो जाता ह । प्राचीन भौतिव वित्तान से
कम-से-वम सिद्धान्तत ता यह सम्भय था कि विसी निवाय के अवयवा व स्थान
जौर उसस सपस्मित गत्यात्मव राधिया था निधारित वरनेवाली राधिया वे यौग
पदिव चान बे द्वारा किसी परवर्ती क्षण पर उस निवाय की जा अवस्था हानयारा
हू उसवा हम वठार' गणना के द्वारा पहले से ही जान लें । पिसी क्षण 1, पर
विसी निकाय वी परिलक्षव रातिया वे माह « भ् वा यथाथत जान
लेने पर पहरे हम निश्चित रुप से बता सकते थे कि किसी परवर्ती क्षण ६ पर उन
राशिया का नापने से उनके बया मान + $, पाये जायेंगे। यह परिणाम भौतिया
तया थातरिक सिद्धान्ता के मूल समीकरणा वे रुप तथा उन समीवरणा वे गणितीय
गुणा का था । वतमान घटनाओआ वे द्वारा भविप्य वी घटनाआ वी बिल्कुल सशयहीन
प्रागुवित की सम्भावना वे द्वारा अर्थात भविप्य कसी न विसी प्रवार वतमान में
ही निहित हू और उसमें कोई नवीन वात प्रविप्ट नही हाती इस धारणा वे ही
द्वारा उस मायता वी सप्टि हुई थी जिसे हम प्राइतिक घटनाआ वा नियतिवाद'
कहते ह। विन्तु इस सगयहीन प्रागुकिति के रिए आवाशीय' अवस्थापन की घर
राशियां के तथा उनसे सयुग्मित गतिवीय राशिया के योगपदिक माना का यथातथ
नाग आवश्यक हूँ। जौर ववाटम सिद्धात ठीव इसी चान को असम्भव वतलाता है ।
इसी कारण आज प्राइतिक घटनाआ के परम्परा क्रम जौर भौतिक सिद्धान्ता वी
प्रागुवित कर सकने वी क्षमता के सम्बंध मे भीतिकता वी (कम से कम उनमें से
बहुता वी) विचारधारा में बहुत बडा परिवतन हो गया है। विसी क्षण £ पर
निकाय की लाशणिक राशिया के नापे हुए माना में बयाटम सिद्धात के अनुसार कुछ
अनिवाय अनिद्चितता रहती ही है। इस कारण भौतिकत्त पहर से यह ठीक-ठीक
नहीं बता सकता वि उन रातिया के मान किसी परवर्ती क्षण पर कया हांगे । वहू केवल
यही बह सकता हूँ कि कसी परवर्ती क्षण पर नापे हुए मान कि ही निर्दिप्ट सख्याआं
के बराबर हागे, इस वात थी प्रायिक्ता” कित्तनी हैं। जिन नापा से भौतिकज्ञा को
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