लाख की खेती | Laakha Kii Khetii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लाख की खेती । १५ दिखाई दे तो उस डाली को श्वश्य काट देना चाहिये अथवा उस घाव में गोबर तथा घूना प्रभति अर देना चाहिये । पेड़ों के छुटाई करने की श्रावश्यकता लाख की खेती आरम्भ करने में केवल पहले बार होती है फिर तो लाही की डालियां काटने से वृक्षों के पुराना डालियां का छेदन स्वयम हो जाता है श्रोर दूसरी फसल के बीज संचारण करने के समय तक न्यूतन कामल डा लियां निकल श्रातो हैं यही देतु है कि एक पेड में साल में एक ही फसल लाही की हो सकती हे श्रौर पोपल के वृक्ष में तो एक फसल कटने के बाद दो तीन बरस तक इसके बोज का आरोपण नहीं हो सकता क्योकि पीपल के जृक्ष को नई डालियां शीघ्र नहीं निकलती । इस कारण पीपल के पड़ में बीज का सचारण जददी जज्दी नहीं किया ज्ञा सकता । इसके श्रतिरिक्त जिन पेंड़ां पर लाही के की” लगाये जाते हैं उनको रक्षा भी भली भांति करना चाहिये श्रथात्‌ उनको चींटी व दीमक प्रभ[त से बहुत बचाना चाहिये क्योकि ये जन्तु पेड़ों पर चढ़ कर लाख के कीड़ा को खा जाते हैं । इन से रक्षा की सरल उपाय यह हे कि पेड़ों के नोचे की भूमि कई बार जोतो जाय श्रौर उस में उत्तम प्रकार की खाद प्रभति का प्रयोग कर दिया जाय शोर अद्रख, हलदी, गाजर व घुदइयां ( श्ररुई ) अथवा दूसरी कोई वस्त जो छाये में हो सकती हे बोई जावें । इससे पेड़ों में भी खाद पहुंच कर तेज़ी बनी रहेगी । लाही खूब निकल सकंगी श्र एक दूसरी फसल मी तथय्यार हो जायगी। लाख की खेती करने वाली को इन कीड़ों का भी कुछ हाल जनाने की आवश्यकता है। जिस पेड़ में लाख लगी हो उसकी एक डाल को हांथ में लेने से मालूम होगा कि उस पर




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