विश्व के महान वैज्ञानिक | Vishw Ke Mahan Vaigyanik

Vishwa  Ke Mahan Vaigyanik by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आकिसिडीज 95 सारा जिस्म सिर-पर सब पानी के अन्दर डूबा होता है । कोई भी हिस्सा उसका पानी के बाहर नहीं रह जाता । लकडी का टुकड़ा या कोई किश्ती पुरी की पुरी ही पानी पर नहीं तेरा करती उतना हिस्सा उसका पानी के अन्दर डूबना ज़रूरी होता है जितना कि उसके बराबर वज़न का पानी अपनी जगह छोड जाए। जहाज़ो मे माल भी लदा होता है इस वजह से वे और भी ज्यादा पानी में डूबते चलते हैं क्योकि अपने वजन के बराबर का पानी नीचे से निकाल परे करना उनके लिए इस तरह जरूरी हो जाता है । आजकल का एक यात्री जहाज 80 000 टन पानी को अपनी जगह से परे कर सकता है अर्थात्‌ जहाज़ का अपना वजन आजकल 80 000 टन तक होता हैं। पनडुब्बियों का परमाणु-चालित पनडुब्बियो तक का आधार भी यही आकिमिडीज़ का सिद्धान्त ही है । आकफकिमिडीज़ को पानी को ऊपर उठाने का एक यन्त्र आविष्कृत करने का श्रेय भी दिया जाता है। इस यन्त्र का नाम हैं-- आकिमिडीज़ स्त्यू । इसकी बनावठ एक मेहराबदार शक्ल की लम्बी-चौडी चूडी की होती हैं जो आराम से एक सिलिडर की दाक्ल के बक्स के अन्दर कायम की हुई होती हैं । चूडी को जब घुमाया जाता है तो पानी उसके साथ-साथ ऊपर को चलने लगता है जैसा कि तस्वीर से ज़ाहिर है । इसी नियम का प्रयोग गेहू के ढेर को एक जगह से दूसरी जगह हटाने के लिए भी करते है। इसका एक और रूप जिसे स््यू ड्राइव कहते है कोयले को भट्टी मे उतारने के लिए और वहा से राख को हटाने के लिए बने आटोमे टिक स्टोकरो मे काम में आता है । उसी एक बुनियादी नियम का प्रयोग घरो में कितने ही ढंग से हम रोज़ करते है। गोदत को कीमे की सुरत मे काटने के लिए शौरतें एक तरह के स्क्रयू या पेंच का इस्तेमाल करती हूँ जिसमे साफ- साफ नज़र आता है कि किस तरह गोदत छोटे-छोटे टुकडो मेकटकर एक तरफ इकट्ठा होता जाता है । आकिमिंडीज़ ने यह भी जान लिया कि लीवर के पीछे गणित का कौन-सा नियम काम करता है और उसने इस नियम की क्रियात्मक परीक्षा भी प्रत्यक्ष दिखा दी । इस नियम के प्रयोग द्वारा कोई भी मनुष्य अपने हाथो की ताकत को कितने ही गुना बढाकर बडे से बड़े बोको को यो ही उठा सकता है और एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर पहुंचा सकता है। इसी ब्रात को बलपृवंक कहने का ढंग भी आकिमिडीज़ का अपना ही था खडे होने के लिए बस मुझे कुछ जगह दे दो और फिर देखना-- मैं पुथ्वी को ही हिला- कर कहा की कहा कर देता हु । लीवर के सिद्धान्त को 25 पृष्ठ पर चित्रो की सहायता से स्पष्ट किया गया है । लीवर के एक सिरे पर कितना बोक उठाया जा सकता है कितनी कम ताकत इस्तेमाल करके उठाया जा सकता है--यह लीवर के ध्रुव पिवट की दोनो सिरो से दूरी पर निर्भर करता है। उदाहरणाधें 1000 पौड के वज़न को उठाने के लिए 100 पौड़ की ताकत ही काफी है अगर पिवट की दूरी लीवर के ताकत लगानेवाले सिरे से बोभे को उठानेवाले परले सिरे की दूरी की अपेक्षा दसगुनी हो । पा्ों मे सी-सौ का खेल आपने कभी देखा है उसके एक सिरे पर--क्रास-बार से दूर के सिरे पर--बैठा कोई हुत्का-फुल्का बच्चा भी क्रास-बार के नजदीक दूसरे सिरे पर बैठे एक उयादा वजनी




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