झरोखे | Jharokhe

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : झरोखे  - Jharokhe

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about वीरेंद्रकुमार गुप्त - Veerendra Kumar Gupt

Add Infomation AboutVeerendra Kumar Gupt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्घ आत्मनिर्भरता सकता है, अधोदेश से आई हो, ऊष्व॑ से नही ।' मैंने उत्तर दिया, “मुझे नहीं लगता कि वे ऐसी हैं , लेकिन यदि मै शैतान का ही बालक हू तो श्षेतान के ही अनुसार जीऊगा ।” अपनी प्रकृति के सिवाय कोई अन्य कानून मुभे पवित्र नही लग सकता । अच्छा और बुरा ऐसे नाम है जो इस या उसपर बडी सरलता से स्थानान्तरित कर दिए जाते है। सही वही है जो मेरी प्रकृति के अनुकूल है, गलत वही है जो उसके विरुद्ध है। व्यवित को, सारे विरोध के बावजूद स्वयं को आगे ले चलना है, जैसेकि उसके सिवाय हर 'चीज दायित्वशून्य और क्षणिक है । यह सोचते हुए मुझे लज्जा आती है कि हम बिल्‍लो और नामो, बडे समाजो और मृत सस्थाओं के सामने कितनी आसानी से समर्पण कर देते है। हर उत्तम और सच बोलनेवाला व्यक्ति मुफे उचित से अधिक प्रभावित करता है और बहा ले जाता है। मुझे माथा ऊचा रखना चाहिए, मज़बूत होना चाहिए और सब तरीकों से क्रूर सत्य को व्यक्त करना चाहिए । यदि ईर्ष्या और दम्भ जन-कल्याण का कोट पहन ले तो क्‍या उन्हे मान्यता मिल जाएगी * यदि कोई रोपदर्ध धर्मान्‍्ध दास- प्रथा के उन्मूलन के उदार प्रयोजन को ओढकर आता है और बारबेडाज * की एकदम ताजी खबरे लाता है तो उससे क्यो न मैं इस प्र कार कहू, “जाओ, अपने बच्चे से प्यार करो, अपने लकडहारे से सहावृभूति करो, नम्र और अच्छे स्वभाव के बनो , अपने में वह उच्चता पैदा करो और हज़ार मील परे के काले लोगों के प्रति इस अधिश्वसनीय नम्रता से अपनी क्रूर अनुदार आकाक्षा पर वारनिश मत करो । दूर के प्रति तुम्हारा प्रेम घर पर द्रोह का सूचक है ।' इस प्रकार का स्वागत रूखा और अशिष्ट होगा; लेकिन सत्य प्रेम की बनावट से सुन्दरता होता है। आपकी अच्छाई पर कुछ धार तो होनी ही चाहिए, नही तो यह कुछ भी नही है। प्रेम जब घिधियाने और कूकू करने लगे तब इस सिद्धान्त की प्रति क्रिया मे घृणा के सिद्धान्त का १. बारवेडाज्--एन्टिलिज़ का एक द्वीप ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now