कथक नृत्य | Kathak Nritya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
165
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दितीयं अध्याय
अभिनय तथा नत्य
अंगों के कलात्मक और सुरुचिपूर्ण संचालन द्वारा मनोवां-
क्षित भावों के झभिव्यक्तिकरण को झमिनय या नास्य कहा
जाता है । झभिनय भी एक प्रकार की भाषा है। बास्तव में
भाषा दो प्रकार की होती है--श्रव्णों की भाषा और नयनों की
भाषा । नृत्य में दोनों प्रकार की भाषाओं का उपयोग होता है ।
साहित्य में केवल श्रवण की साषा से काम लिया जाता है ।
अभिनय की भाषा यदयपि मानव सभ्यता के समान दो प्राचीन
है किन्तु केबल भारत में ही इसका वैज्ञानिक और कलात्मक रूप
से पूर्ण विकास हुआ है । झाज से दो हजार बर्ष पूर्व भी भारत
में झभिनय की विशिष्ट शास्त्रीय अणाली का परिष्कृत रूप
विद्यमान था ।
दुशरूपककार घनन्जय ने कहा है--
प्रवस्थानुकति नाव्यम् रूप॑ हश्यमू योच्यते ।
रूपकं तत्समारोपाद ददावैव रसाश्रयसु ।।
अवस्था विशेष की अनुककृति को नाव्य” कहते हैं । इसका
दाश्रय लेकर प्रदर्शित होने वाले नाव्य के दस मेद होते हैं ।
नाव्य में संगीत तथा भाव प्रदशन का समन्वय रहता है और
इसके झन्तगंत चारों प्रकार के झभिनय का विधान है । '
अभिनय का दूसरा झंग 'नृत्त' है । इसमें केवल सौन्दर्य के
लिए ंगों का संचालन झौर भाव प्रदर्शन होता है । किसी
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