विवेक के रंग | Vivek Ke Rang

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vivek Ke Rang by देवीशंकर अवस्थी - Devishankar Avasthi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about देवीशंकर अवस्थी - Devishankar Avasthi

Add Infomation AboutDevishankar Avasthi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बावजूद गान्धीज़ी भौर शुक्लजीके विचार रवीन्द्रके प्रति ( तथा पाइ्चात्य प्रभावोंके प्रति ) बहुत-कुछ समानता रखते हैं । पुराने सिद्धान्तोंकी युगानुकूल व्याख्याका एक अत्यस्त विशिष्ट उदाहरण साघारणोकरणकी चर्चा है। संस्कृत काव्यशास्त्रमें. साधारणीकरणका विवाद ऐसा प्रमुख प्रदन नहीं है कि तमाम रस-सिद्धान्तना प्रतीक बन जाये । संस्कृत-काव्य-परम्पराम ( या प्राकृत-अपभंशमम भी ) साधारणी- करणका प्रदन मुख्य था भी नहीं । उस युगमें कवि और रसिककी बौद्धिक भूमि लगभग समान थी अतः सम्प्रषणकी कठिनाइयाँ नहीं थीं । परन्तु धीरे-धीरे शिक्षाके प्रसार भौर ज्ञान-विज्ञांनोंकी विशेषज्ञताके साथ-साथ यह भूमिका बदलों है । साथ ही ब्रजसे खड़ी बोलीमें माध्यमका जो बदलाव होता है, वह भी सम्प्रषणके लिए समस्याएँ उत्पन्न करता है। पश्चिमी विचारधाराओं, पश्चिमी साहित्यों आदिके सम्पर्कसे जो काव्य-दुष्टिका बदलाव हुआ, नये काव्यरूपोंका आविर्भाव हुआ, काव्य-घिषयोंका फेलाब हुआ, उन सबने मिलकर सम्प्रपणकी समस्याकों काफ़ी जटिल बनाया । मुझे याद है कि छायावादकी एक परिभाषा, उसका मज़ाक़ उड़ाते हुए, यह भी रखी गयी थी कि जो समझमें न आवे वह ही छायावाद । पर यह केवल मज़ाक नहीं था--इसके साथ लगी सचाई थी कि. छायावादी कांव्यका एक बड़ा हिस्सा दुरूद और अस्पष्ट था तथा पाठकों तक उसके सम्प्रेषणमें कठिनाई होती थी । ऐसी स्थितिमें रस-सिद्धान्तकी बर्थ करते हुए 'साघारणीकरण' की ओर अत्यधिक ध्यान देना वस्तुत: अपने सम- कालीन साहित्यपर ही ध्यान देना था या उस साहित्यके परिदुश्यमें पुराने रस-सिद्धान्तकों रखनेकी चेष्टा थी । यह भव्य है कि 'आलम्बनत्व धर्स'- के जिस साधारणीकरणकी बात शुक्लजीने कही, बहू सीधे राष्ट्रीय संग्राम की. सामाजिक प्रतिबद्धतासे सम्भूत थी--यानी कि सुजनात्मक स्तरपर जो प्रतिबद्धता प्रमचन्दके साहित्यकों जन्म दे रही थी वचह्दी शुक्लजी के साधारणी- करणकों भी । पर इसे रोमैण्टिक काव्यशास्त्रकी आत्मपरक निष्टाके लिए, घ. विवेकके रंग




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now