हिन्दी - साहित्य और उसके निर्माता | Hindi - Sahity Aur Uske Nirmata

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Hindi - Sahity Aur Uske Nirmata  by प॰ लक्ष्मी कान्त - P. Lakshmi Kant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(दे ) कृप्ण-मक्ति-शाखा-१४ २ श्री वल्लभाचाय ५७२, सरदास ५४९, सूरसागर १२०, स्रसर-गीत १६४, भक्ति-भावना ४७०, काब्य-साघना १७२, चरित्र- चित्रण 9७, साषा १७२, सूर शौर तुकसी ४७६, 'पप्टछाप १७७, नन्ददास १७४, कृप्णदास १८१, परमानन्द दास १८२, कुम्भनदास १८३, चतुभुज 1८४, छीतस्वामी ५८४, गोविन्द्सवामी १८, अन्य कवि ५ ८६, दित हरिवंश १८६, गजाघर मटट १८७, सीराबाई १८८, सक्ति-भावना १६०, काव्य-साघना 9२२, स्वासीदरिदास १९३, सूरदास मदनमोहन 3४३, रसस्वान ४४४, व्यास जी २०१, भू चदास र०३। मक्ति-काल की फुटकल काव्य-घारा--२०४ केशवदास २०१, काब्य-साघना २०७, कृपाराम २१३, गंग ₹१ ४, रहीम जी २१५, काव्य-साघना २१५६, सेनापति २५८, नरोत्म दास २२०, मद्दाराज टोडरमल् २२४, महाराज वीरथल ररछ । रीति-काल ( सं० १७००--१६०५०) सामान्य परिचय २९७, राजसेतिक स्थिति २२ ३, सामाजिकऋ-स्थिति २३१, धघार्मिक-स्यितिं २३२, साहित्यिक स्थिति २३४, उ्ट गारिकता




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