महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण : पुनर्मूल्यांकन | Mahakavi Suryamalla Mishran Punrmulyankan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. दयाकृष्ण विजय - Dr. Dayakrishna Vijay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जम री मूखा तारवो, प्रथ लगावों पाग
भ्षेर न भोला ! ऊपरों ज छीजागया जाग 11%
लपभग एसी ही बात स्वर्ग सनानी को पत्नी भी फिरगियों से कहती है । वह उद्दे
सादधान करती हुई बहती है हि मर पति को सन छेड़ा । उसे पिटारे में बैठा बाला
माप हो समझना, घौर यह भी स्पान मे रखना कि इप सौप के जहर से बढ़कर मम का
दह दूसरा बया हो सरता है ? १ >ग के स्वतम्ता सनानियों के उत्साह भौर 'ोय के
बल पर हो सूयमत्त फिरगियों को चनतावनी लेन प्रौर दिलाने में समय हुए थे । एक नहीं
घ्नेग था. उ होने ऐसी चेनायनियाँ दी ध्ोर टिलवाई हैं । देश फो सोया हुमा समककर
हो प्रप्रेजो न भारत वी स्वतंत्रता का चीहुरगा करने था दुसाहस शिया था. पर
सूयमल्त ने थी र-पतनी से उें सादधान करत हुए बहलवाया कि मेरे पति को सोया
हुमा समकतर मत देदो यहाँ स घलदां । घर सौट कर पार्वती की पूजा कराधो जिससे
तुम्द्ारी प्रियापो का सुहाग भखड बना रहे 11? पी कम मे वह दे की स्वतश्ता पर
प्राय्रमण भरने वाले फिरगियों को कहतों जाती है कि है भोले लोगो । जश् तर जीवन
है तय सम घर में परिनियों के साथ सफर जौबित रहो । हित के बहुहाय हुए लूट की
उमंग में इस पर पर चढ़ प्राय हो ? जान पढ़ता है टूगरों वे बहुकावं में पार तुम्हारी
वुद्धि मारी गरपी है. तभी तो सुम यहाँ चढ़वर थाय हो । तुम्हारी यहाँ मृत्यु निरिचित
है । इगस तुम्दार गारीरो को भर्निदह्ह सहन मरना हुगा धर तुम्हारे घर में रोना ही
सप रह जाएगा । इसलिए तुम भूलकर भी प्राग मे ऊपर पैर मत देना उसम जलने परे
रात हो बावी बचती है | बाले नाण वे फन पर सहर थाप मारे तो उससे नाग के फर्म
वा कया बिगरेगा ? हम साहे यरीव हैं. कोपदियाँ वाले हैं पर भोपडियो को लूटने से
प्राणों का सॉल चुकाना होता है इस वात को ध्यान मे रखना ' इस रण समकरारी
प्रपना कर भपन धर (दिंग) को सौर जापो, पयथा इस भोपर (देख) को लूटना तुम्ह
बहुत मेगा पडेगा-- तुम्हे प्राण देन पड़ेंगे ! १6
देश की स्वतप्रता पर ध्रात्रमणण करने यालों को ललकारने वाले भीर उनसे
प्रतिदोध लने वान ऐसे हो दो र सूयमत्न के लिए दरेण्य रह है, कपोडि एसे दीरो वा नाम
लेकर ही वार लाग युद्ध व लिए तयार होते है एस ही वीर समस्त वोरों के पहिरणोय
दनत है । यहां कारण है कि सुयमल्ल ने वीर सतमर्ग मे स्वयं की भोर मे प्रेरणा देने
बे झ्तिशिक्ति बीरो की पहचान पर दत- पते छर लिख डाले हैं । ऐसे बीरो में नर
ध्रौर नारी होनो है । नरो मे वीर बालक, वीर पुत्र, बीर पिता, वीर पति, वीर देवर,
वीर जठ गम्मिलित हैं ता वीर नारी मे वीर माता वीर पुत्री, वीर बढ़िन, वीर भाभी,
बीर पत्नी भौर वीर सास सम्मिलित हैं । वीर नारी का दौरत्व-प्रेम_ध्य्_ किसी काव्य
१४५. बौर सत्तसई छद २१७
१६. वीर सतसई, छा २१८
१७. वीर सतसई छल र१६
१८. बीर सतसई, छद रर० से २२६
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