भाषा विज्ञान और भोजपुरी | Bhasha Vigyan Aur Bhojapuri
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ ० कृपा शंकर सिंह - Dr. Kripa Shankar Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुध
श्र सिन्टेषिटिक पराडाइम (लैग्वेज १६६३) मे व्याकरणिक व्यदस्था की व्याख्या करते
हुए च्याकरणिक मेट्रिस की अवधारणा ओर उसे व्यावहारिक्ता प्रदान की ।
लांगेकर (१६६४: रे२) ने टेग्मीम व्याकरण की साम्व्य को चार सोपानों में
विकसित दिया: (१) पठन (संयोजन) (२) क्रम परिवर्तन (प्ुं टेंशन) (३)
प्रव्यजना (मिनिफेरटेशन) झर (४) झाब्दिक तथा स्वनप्रक्तियात्मक सामग्री का प्रति-
.स्थापन (सब्स्टिट्सूशन ) । लागेकर का कहना है कि यदि व्याकरण की रचना सुचारू-
पूर्वक हो तो इन सोपानों से टेग्मीम व्याकरण ऐसे साधन के रूप में परिवर्तित हो सकता
है जो मापा के व्याकरण सम्मत्त वाक्यों को उत्पन्न (जेनरेट) करे ।
०.४ १. प्रकार प्रहप इकाई--पाइक ने यह महसूस किया कि व्याकरण की मूल-
भूत इकाइयाँ न तो केवल प्रकार्ये द्वारा व्यक्त हो सबती हैं श्रौर ने ही केवल प्ररूप द्वारा ।
और इस तरह उन्होंने स्पप्ट किया कि प्रकायें और प्ररूप दोनो को एक साथ व्यक्त होना
चाहिए । टेग्मीम उसी प्रकार्य श्रोर प्ररुप का संयोजित रूप है । यह थब्द ग्रीक टाग्मा,
जिसका भ्र्य विन्याम (भरेंजमेन्ट) है, से बना है । टेग्मीम प्रकार्य-प्ररूप का सहसम्बन्ध
है। व्याकरण में प्रकार्य पक्ष पर वल के कारण भाषा विश्लेपण में एक श्रान्तिकारी
परिवर्तन आया ।
प्रकार्य व्याकरण के सभी स्तरणों पर मिलता है । प्रकायं श्रौर प्ररूप का ग्रस्तर
ब्याव रण, स्वनि्माविज्ञान ्रौर दाव्ददोश मे भिनत-मिसन प्राप्त होता है । व्याकरण में
इकाइयों में व्याकरणिक प्रका्य॑ मिलता हैं श्र प्ररूपो में व्याकर
कर गये मि 'णिक अर्य जुडत्ता है ।
स्वनिमविज्ञान में स्वनिमो में पार्थवयसूचक प्रकार्थ मिलता है श्रौर शब्दकोश में प्रकार्य
निर्दिष्ट होता हूँ ।
०:५२. प्रकार्यात्क स्लाट श्र श्रेणी--प्रवार्य व्याकरणिक सम्बन्ध हैं। इसे
कर्ता, विधेय, प्रधान, परिसीमक झादि नामों से व्यय्त क्या जाता ह। स्लाट रचना
फ्रेम में एक स्थिति हूं ग्रौर यह रचनाफंम में स्थित्ति और सरचनात्मक अर्थ द्वारा परि-
मापित्त होता हैं । श्रेणी प्रकार्याद्मक स्लाट की पूर्ति करने वाले प्रकरण
लिए वर्ता स्लाट की पूत्ति करने वाली श्रेणियों में मंन्ञा फ्रें, स्वेना'
सकते हैं । ठेग्सीम प्रवार्य प्ररूप की ततरह न तो केवल स्ताट में
केवल श्रेणी से । यह सलाद और श्रेणी का सहसम्बन्ध है।
१:५३ एटिक श्र एमिक इकाइयाँ --व्याकरण की एटिक इकाइयाँ वस्तुतत;
विश्नेषणवर्ता वा श्रन्यमापास!पी की इृष्टि से प्रथम अनुमान हैं । ये ब्ननिवायं इकाईयाँ
हैं। व्यावरण की एमिक इत्राइयाँ म्रसिवायें होगी हैं श्रौर उस मापा को मानुभाषा के जि
में प्रयुक्त वरने वाले की हप्टि में सापा की इकाइयाँ हैं (कुक १६६६: दी
स्वनप्रमिया में एटिक इवाइयाँ स्वन हैं और विभिन्न संस्वनों का एक समूह दा द दी 1
मंस्वनों के समूह से व्यवच्छेदन में है एमिक इकाई है । व्याकरण में मि कि ही दसरे
हैं भौर विभिन्न संटाग्मातो का समूह टेग्सीम है। शब्दकोश में एटिक इकाइ रुप
करण हैं 1 उदाहरण के
म, क्लाज़ आदि हो
ब्यकत होता हूं और ने
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