चिन्ता सम्बन्धी जानने योग्य मौखिक तथ्य | Chinta Sambandhi Janane Mokhik Tathya

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Chinta Sambandhi Janane Mokhik Tathya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आज की परिपि मैं रदिये च्य गरन से शोर समान ऋम से लिकछ रहते हैं। बाद कपों के इस भ्रम को इस पढ़ी को हाकेहोइ बिना नहीं बदढ सकते । ऐसादी कम मारे गन में मौ दे। अपमी दिनचर्वा का भीगणेश ऋरते समप इमारे सामने सेंकड़ो ऐसे काम शाते हैं हिरें इस तत्काटदी पूरा करना चाइत हैं। पदि इस उन्हें पढ़ी की ऋमिअता पे भनुस्प दिन सरमें एक एक करक पूरा न करें वो नितचम ही इमारा शारीरिक सौर मामसिक दांचा इट जाए. ! उठ दिन से साथ तक में डाइटर के उस ' एक दी शाप शब सभ 'प इशन का प्रयोग करता भा रहा हूँ । डॉक्टर के उस परामण ने, युद्ध बास में शार्ारिऋ एवं मानसिऋ विभटन स मुझे बचा लिया और उठने मरे बर्वमान स्पबठाय नें मौ बड़ा पोग दिया। भाजइस में बास्टीमार की ' कौमार्शियस फेडिट ऋग्पनी में स्टॉक कम्ट्रोस के दाई का काम करता हूँ । अपने इस स्पबसाय में मौ मैंने उन्हीं सुद्धदार्डीन उसूशनों को पनपते देखा । काम बजुत श्यादा था भर शमय कम । इस पाठ रर्तेंक की कमी थी । नये फॉम बनासा स्टॉक की म्पगरपा करना, पठे बइसना पुरान कार्वालवों को बन्द कर नये कार्याडय सोछना आदि कई काम सर पर च्यड़े धुए थे । पर भदराने या सुँद छरकामे पे बजाय मुझ डॉक्टर के उन एम्दों ' एक ही शाप श्र सप का स्मरण दो माया । कई बार मैंने उन शतों को दोइराया भोर उनरी प्रस्थास अपने काय को पूर्ण कुशसता से तम्पन्न या । तबसे मुझे उत पुद्ककाशीन मार्नविय्र उंसन का शिकार कमी नं इोना पढ़ा । हमारे बर्गमान छौबनकी रिचिप्रता में से एक पद मी दे हि सरपतास्यों में माष में झपिर रपान उन रागियों के सिय शदठे हैं जा श्रामु रोग अपदा मानलिऋ रोग से पीड़ित रएत हैं; भीर जो मूत और मविप्य की जिस्ता में पिल कर रद गन हैं। न गगिपों में से सपिकांगा भाय सौ सुखद एपं उपयोगी छौवन म्पतित करते परि प इला था सर विनिपम भोतसर के उन एग्दों पर प्यान इंते । जिनमें अमश' ' कत थी दिनता छा और भाज बी पर्रिपि में रहा दुप सटाह टी गपी दे । भमी इम बूत भर सपिप्द के संपि-रपण पर गढ़े हैं। एक मोर रिएाए भूत ई वा कमी पापत नहीं आएगा और दूसरी भार संपिप्य दे जो तजी से एमारी भाप बह रहा है । परेंमसन थी उपेशा ऋगफ पल मात के लिप सौ इस उन थानों मुग्य थे स फिही एक के इोपर नी कौ सकते । एस प्रयास से इसारा शारीरिक एएं सामसिद् इस हो नाता दे। पता जिस काए में इसारे जिव रइना शम्सव इस शान ने रह कर एसें शन्तोर ऋर सतना थाहिये । इस पिपिय में शपट हाई रटीस्स्सन मे लीग दे छिन “ मारी से सार भोग सी आय ऋ लिप सा कोई भी डय सता दे । लाए बा सौ शा एक दिन से लिय थी कडिति से बठित परिणम कर ही या दे । गम हर हा बाएं भी मालि: सिदात पेय सन मोर परवता से गए टकरा है। के इसी था पा बस दे । पेन दो एस से पट्टी भरेष्प है । टक दिस सिप झंपना आज के दिये जला ररपने के पूर्द ८५ बोर रो हासनर पौदीर्ल थी भलिदी है इस्टिग इदाए इडर माता




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