भावना [गद्य काव्य ] | Bhaavnaa [Gadya Kavya]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मालिन
मालिन
फूलों की डलिया लिये वह मालिन नित्य आधीरात को
उस उद्यान में पहुँच जाती है । फूल चुनने का, भला, यह भी कोई
समय है ! माला यूँ थने की, भला, यह भी कोई बेला है !
मालिन कभी किसी से कुछ बोलती नददीं । अपनी ही 'घुन
में मस्त रहती है । कभी मूक-वेद्ना की भाँति चुपचाप निकल
जाती है, तो कभी थिरकती हिलोर की तरह कुछ अलापती हुई ।
+ किमी को उससे कुछ पूछ-ताछ करने का साहस भी नहीं होता ।
उस समय जो भी उस प्रेम-प्रतिमा को . देखता है, वद्दी अपना
मस्तक भक्ति से उसके चरणों पर झुक्ता देता है । उस अनुरक्ति-
देवी के माग पर कौन श्रद्धा-भक्ति के पुष्प न छितरा देगा ?
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