राजनीति विज्ञान मूल अवधारणाएँ एवं सिद्धान्त | Rajaniti Vigyan Mul Avadharanaen Avam Siddhant

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Rajaniti Vigyan Mul Avadharanaen Avam Siddhant by वी॰ आर॰ मेहता - V. R. Mehata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अर कक ु कर प्री री समरभ वि «कमी एम झध्याय जि ह 0 कया मूड हु की ताप :.... . 'स्वतंत्रता' क्‍या है? स्वतंत्रता की अवधारणा को परिभाषित करना कठिन है। यह एक ऐसा शब्द है जिसके अनेक भावनात्मक अधिकल्पित अर्थ हैं। इस शब्द को विविध कालों में पृथक-पृथक रूप से परिभाषित किया 'गया। पु इन सब विविधत्ताओं में उसका एकसमान भाव भी प्रकट होता है। स्वर्तंत्रता का सबसे महत्त्वूपर्ण अभिप्राय यह है कि इससे प्रेरित होकर कोई विवेकशील व्यक्ति बिना किसी बाहय दबाव के अपनी इच्छा के अनुसार कार्य कर पाता है। इस अर्थ में स्वतंत्रता हमारे व्यक्तित्व के स्वतंत्र व मुक्त विकास की एक अनिवार्य अवस्था है। इसके अभाव में हम वह सब कुछ नहीं पा सकते जिसे हम विवेकयुक्त और सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। स्वतंत्रता पाने का अर्थ है अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करना, अपने सपनों को साकार करना और अपनी क्षपता को कार्य-रूप देना। यही मानन्नता का सार है। इससे हैमारी जिम्मेदारियों को ठोस आधार मिलता है। यह वह आदर्श है जिसकी हम सब कामना करते हैं। कोई व्यक्ति तब ही स्वतंत्र माना जाता है जब वह दूसरे लोगों से प्रतिबंधित न हो। स्वतंत्रता का यह भी अर्थ है कि हमें कुछ करने की स्वर्तेत्रता मिले या हम ' अपनी शक्तियों का सही प्रयोग कर स्वतत्रता सकें। जब हम वह सब कुछ कर पाते हैं जो करना चाहते हैं तो हम स्वतंत्र कहलाते हैं। इसका अर्थ है दंड के भय से मुक्त रहते हुए दूसरों के आदेश से स्वतंत्र कार्य करने की क्षपता प्राप्त करना। इसके अतिरिक्त कानून के अंतर्त भी स्वतंत्रताएं विद्यमान होती हैं। नागरिक जब कानून के अनुसार कार्य करते हैं और कानून दूवारा प्रतिबंधित कार्य नहीं करते, तो उन स्थितियों में वे स्वतत्र कहलाते हैं। स्वतंत्रता का प्रयोग मुख्यतः: दो अआर्थों में किया किया जाता है: नकारात्मक तथा सकारात्मक। नकारात्मक स्वतंत्रता हा. नकारात्मक दृष्टिकोण का यह अर्थ है कि हमें राज्य के अनुचित हस्तक्षेप से बचाव के लिए स्वतंत्रता की आवश्यकता है। हमें एक ऐसा कार्यक्षेत्र प्राप्त हो जहां व्यक्ति दूसरों के अवरेधों से मुक्त होकर अपनी इच्छानुसार कार्य कर सके। यहां यह जानना आवश्यक है कि पानवीय संबंधों में कुछ अवरोध तो ऐसे होते हैं जो स्वाभाविक है। उदाहरण के लिए, यदि कोई अंधा है तो वह अंधेपन के कारण पढ़ नहीं सकता। परंतु कुछ क्षेत्र ऐसे भी होते हैं जहां दूसरे जान-बूझ कर ऐसा हस्तक्षेप करते हैं जिसके कारण हम उन क्षेत्रों में चाहते हुए भी वांछित




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