भगवान बुद्ध की आत्मकथा | Bhagwan Buddha Ki Atmakatha
श्रेणी : जीवनी / Biography, बौद्ध / Buddhism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.22 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आत्म कया 4 जब आावयों कीं वासकों की यह दया थी ठो आासिदों को अवस्या का अनुमान सहुज लग सकता है यों जब धर्म कर्म बौर मर्म की ग्लानि हो रही थी तब जरूरी हो गया कि में पुने धर्म की स्थापना करू । ज्ञाव की जोत जलाऊँ बत्ञान का तिमिर दुर करू । थचिद्या के स्थान पर विद्या को लौर दानव के स्थान पर मानव को प्रतिष्ठित करू । तभी न साथेक होगा मेरा नाम सिद्धाथ ?
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