भगवान बुद्ध की आत्मकथा | Bhagwan Buddha Ki Atmakatha

Book Image : भगवान बुद्ध की आत्मकथा  - Bhagwan Buddha Ki Atmakatha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आत्म कया 4 जब आावयों कीं वासकों की यह दया थी ठो आासिदों को अवस्या का अनुमान सहुज लग सकता है यों जब धर्म कर्म बौर मर्म की ग्लानि हो रही थी तब जरूरी हो गया कि में पुने धर्म की स्थापना करू । ज्ञाव की जोत जलाऊँ बत्ञान का तिमिर दुर करू । थचिद्या के स्थान पर विद्या को लौर दानव के स्थान पर मानव को प्रतिष्ठित करू । तभी न साथेक होगा मेरा नाम सिद्धाथ ?




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