गांधी ग्रंथ | Gandhi Granth
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रेमनारायन माथुर - Premanarayan Mathur
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महात्मा गाँधी और उनका इतिहास में स्थान
वास्तव में यह धारण सत्य ' नहीं है । संसार मिथ्यी है, इस ' घारण में इसी
द तक सच्चाई है कि हमारा श्रध्यास्सवाद इस भौतिक * ' जगतूत्को श्रन्तिम
सत्य नहीं मानता । लेकिन इसका यह श्रथ लगाना अ्रममूलक होगा कि
भारतीक दर्शन मनुष्य को जीवन के सामाजिकं पत्त से विमुख करना - चाहता
है।। इस बात के दो प्रमाण हैं । सबसे पहली श्लीज तो यह हैं कि भारतीय
दर्शन की लक्ष्य पाइचात्य दर्शन की भांति केवल शान, -फ्रीप्ति कभी नहीं रहा
है..। उसका एक मात्र-उद्देश्य रहा हैः जीर्वनः में, जो जुराई' ..व्यात, हहै उससे'
मनुष्य जीवन को मुक्त .करने का मार्ग 'दिखाने काः। दशन-शोर ' सु्टिमरहस्य
के प्रश्नों पर जों मी' विचार किया गया है वह / झनायास: ही ' जीवन की
समस्यात्रों के हल पर विचार करने के साथ-साथ हो गया है । इसी लिए:
दम यह कहते हैं कि भारतीय दर्शन का क्षेत्र क्रेवल,. तक ' तक ही सीमिंतः
नहीं है, वह नीति-्रनीति के. क्षेत्र को भी छूता है +्रौर उसको पार करता
हुआ जीवन का जो सबसे 'उच्च और '' झाध्यात्मिक: “स्तर है, उस, तक जाता
है। इस बात का एक श्रन्य प्रमाण भी है । हमारे प्राचीन शास्त्रों में मनुष्य
मोक्ष प्रात कर सके इसके लिये यह अनिवार्य: समझा गयां है कि वह पहले
जीवन॑ की सामाजिक वस्था' से पार हो श्र समाज -के .प्रति ' अपने
कतंव्यों को पूरा करे । उदाहरण के लिये. हमारे यहाँ.'स्चार शश्रमों की जो'
व्यवस्था की गई थी उसमें ग्रहस्थ-जीवन का श्रपना: विशेष स्थान रहां है ।
_ इसके अतिरिक्त मोक्षओापि के लिये जिन साधनों की बविंमिन्न भारतीय
दर्शनों में उल्लेख किया. गया है उनमें उन तमाम सामाजिक श्र नैतिक
गुणों के. विकास पर भी जोर दिया है , जिनका होना ' सामाजिक शान्ति
सुव्यवस्था, तौर प्रगति के लिये श्रावश्यक * माना 'जाता है । यह बात
एक. हद तक उन भारतीय 'दशनों के बारे में भी.-लागू.' होती है जो
मोच' प्राप्ति के 'लिये क्रिसी प्रकार की . सामाजिक . जीवन . की श्वंश्था. दौर
उसके श्रनुशासने में से 'हॉकर गुजरना श्रावश्यक ' नहीं : मानते: | ..जैसे. बौद्ध
श्र जेने दर्शने में. भी. श्रेहिंसां, दया, सह नुगूत्ति '्ादि , सामाजिक शुणों
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