ह्रदय नाद | Hirday Nad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2-हुद. जाता है तो अन्य भाषाग्रों के सम्बन्ध में क्या कहें ! एक-दूसरे के दिल की बात समभना श्रौर समभी हुई वात को दूसरों को समभकाना--वह भी कलात्मक ढंग से--कितना टेढ़ा काम है, यह भुक्तभोगी ही जान सकता है । इस कठिन कार्य को मित्रवर श्री सुब्रह्मण्यन्‌ ने मुके सौंपा तो पहले मैं कुछ हिचका, पर भावात्मक एकता के राष्ट्रीय कार्य में मुझे भी यरत्किचित म्रंशदान करने का सौभाग्य मिल रहा है, इस उत्साह ने मेरा साथ दिया । फलस्वरूप मेरा प्रयास मूत्त होकर श्ापके हाथों में है । तमिल में 'कालमेघम्‌' नाम से एक सुकवि हुये हैं । उनका कहता है, चाहे जितना भाड़ौ-बुहारो, कहीं-न-कहीं, कुछ-न-कुछ कुड़ा-ककंट बचा ही रहेगा । इसलिए सम्भव है कि झनुवाद के इस कार्य में भी कोई दोष रह गया हो । बार-बार दुरुस्त करने पर भी कहीं कोई त्रुटि छूट गई हो । उसके लिए क्षमा-प्रार्थी हूं । विज्ञ पाठकों से प्रार्थना है कि वे मु उससे श्रवगत करा दें, जिससे भविष्य में मैं इस प्रकार की भरूलों से बच सकूं। उपन्यास के भ्रनुवाद-कार्य को मुकते सौंपकर मूल लेखक श्रौर प्रका- दक ने जो प्रोत्साहन दिया है, उसके लिए मैं उन दोनों का ग्राभार मानता कक हर कल्कि कार्यालय, कोलयाक, मद्ास -ाएरॉ० सलयामन




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