नीतिविवेचन | Nitivivechan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कांतिलाल केशवराय नानावटी - Kantilal Keshavray Nanawati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रै० . नीतिविवेचन
जाता है के हितकर वस्तुका स्वरूप कसा होता है । जीवनके
झेयस्कर अनुभवों का एक साथ वर्गाकरण होकर वे किस प्रकार
एक दसरे के संकलित हैं यह देखना उसमें लान्इयक होता है ।
नीतिशाखकी रचना किस प्रकारकी बाता के आधार पर
होती है इसका इस स्थरू पर कुछ दृष्टान्तेंसि स्फुटीकरण करें |
यदि कोई पिता अपने बच्चों को पूरे कपडे और खाना देता हो हो
इम उसको अच्छा कहते हैं और यदि वैसा वह न करता हो तो
उसको खराब कहते हैं ! अन्य बातोंमिं उसके छिये हमारा केसा.
भी अमिप्राय हो परन्तु इस खास बातमें तो हम उस के लिये .
दूसरा अभिप्राय नहीं रख सकते हैं। परन्तु मान लिया जाय कि :
उस मनुष्यन इस काम के छिये द्रव्य प्रामाणिक श्रमसे नहीं .
किन्तु किसी के मकानमें प्रवेश करके चोरीसे लिया है । इस दामें
हम कहेंगे कि मनुष्यको अपने बच्चोंका भरणपोषण करना यह एक
अच्छी बात है, परन्तु चोरी करके यह करना बुरा है । किसीभी
संयोग मनुष्य अपने बच्चोकी तरफ लापरव! रहे और चोरी करे
इन दोनेंको हम असत्कृत्य मानेंगे । दयाछता और स्नेह भाव इन
दोनोका हम अच्छे कहेंगे, और इसके विरुद्ध द्वेष और दुःख
देने की वृत्तिको हम बुरी बतायंगे । इसी तरह सत्य भाषण अच्छा
और असतय भाषण बुरा माना जायगा । ये केवरू थोड़ेसे सह -
हृष्टान्त हैं, और शास्त्रों की तरह नीति शाख्रमी साध'रण मनुष्यों
के अनुभवों पर नहीं स्थापित हो सकता है । - नीति शाखें भी
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