बिहारी का काव्य | Bihari Ka Kavy

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Book Image : बिहारी का काव्य  - Bihari Ka Kavy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) की टोका को कोई प्रति श्रभी तक प्राप्त नही है। बंदीज़व का-उपरिथिति: काल सं० १८०२ है । रघुनाय बदीजन के रचित प्रंथ हैं (१) काव्य कलाधार्‌ (२) रसिक मोहन या जगत मोहन (३) इश्क महोत्सव । हर ४-सलालकर्वि बन्दीजन कृत “लाल चन्द्रिका कद शिव सिंह सरोज ने कादीवासी लाल कवि बदीजन की इस टीका का उल्लेख किया है, जो महाराज 'वेतसिह की सभा के कवि थे । इनका उपस्थिति काल स० १८३२ माना गया है । इनकी कृति “श्रानन्द रस का उल्लेख शिवर्सिह'ने भी किया है। लललू जी लाल कृत “लाल चद्रिका' से प्रथक इस टीका का कोई भी भ्रस्तिरव प्रतीत नहीं होता । न जाने किस प्रकार लललू जी लाल “लालकवि” की टीका के साथ लाल कवि बदीजन .नाम जुड़ गया । श--अमर सिंह कायस्थ कृत श्रमर चद्रिका टोका , ,. मित्र बघु विनोद मे,दिए गए श्रंक १०५८ के श्रनुसार छतरपुर के कुवर सोनेशाह से दीवान झ्मर,सिंह ने बिहारी की गद्य-पद्य, मे ,प्रमर चंद्रिका टीका बनाई थी । इनके रचित झच्य प्रंथ हैं (१) सुदामा चरित श्रौर (२) राग माला । ६--महाराज ,मानसिंह (जोधपुर) को टीका मिश्र बघु विनोद से १६५५ -अ्रकत्पर महाराजा सानसिंह (ज़ोषपुर) को भी बिहारी सतसई का टीकाकार लिखा है । 'भ्राप रचित +१८ ग्रन्थ गिनाए जातेशहैं । ७--राम जू की टीका : मिश्र बघु विनोद मे १६८४ श्रंक पर राम जू की बिहारो सतसई विषयक टीक्ना का-उल्लेख प्राप्त होता है । इनका कविता काल स० १६०१ के-पूर्व है । ८--सरदार कवि की टीका -« काधीराज ईश्वरी असाद नारायण सिंह के दरवारो कवि सरदार कृत्त टीका रतनाकर जी /के पास थी । झ्रब इसकी वह प्रति भी नष्ट हो गई है जिसके प्रतिलिपि कार नारायशादास कवि थे । सरदार कवि रचित श्रनेक टीकाएँ प्रकाशित हुई किन्तु बिहारी-सतसई की .यह महर्वपूर्ण टीका इससे वंचित रह गई । सरदार कवि का उपस्थिति काल स० १६४० घि० है । €-गदाघर कृत टीका इस टीका के कुछ पृष्ठ स्व० ररनाकर जी को जयपुर से प्राप्त हुए थे । गदाघर सुकवि पद्माकर के वंशज थे । १०--घनजय कृत टीका इसका उल्लेख “रस कौमुदी” में कदि ने किया है+ दि ड प्‌ हू स्




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