बिहारी का काव्य | Bihari Ka Kavy
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७)
की टोका को कोई प्रति श्रभी तक प्राप्त नही है। बंदीज़व का-उपरिथिति: काल
सं० १८०२ है । रघुनाय बदीजन के रचित प्रंथ हैं (१) काव्य कलाधार् (२) रसिक
मोहन या जगत मोहन (३) इश्क महोत्सव । हर
४-सलालकर्वि बन्दीजन कृत “लाल चन्द्रिका कद
शिव सिंह सरोज ने कादीवासी लाल कवि बदीजन की इस टीका का उल्लेख
किया है, जो महाराज 'वेतसिह की सभा के कवि थे । इनका उपस्थिति काल स०
१८३२ माना गया है । इनकी कृति “श्रानन्द रस का उल्लेख शिवर्सिह'ने भी किया
है। लललू जी लाल कृत “लाल चद्रिका' से प्रथक इस टीका का कोई भी भ्रस्तिरव प्रतीत
नहीं होता । न जाने किस प्रकार लललू जी लाल “लालकवि” की टीका के साथ लाल
कवि बदीजन .नाम जुड़ गया ।
श--अमर सिंह कायस्थ कृत श्रमर चद्रिका टोका
, ,. मित्र बघु विनोद मे,दिए गए श्रंक १०५८ के श्रनुसार छतरपुर के कुवर
सोनेशाह से दीवान झ्मर,सिंह ने बिहारी की गद्य-पद्य, मे ,प्रमर चंद्रिका टीका बनाई
थी । इनके रचित झच्य प्रंथ हैं (१) सुदामा चरित श्रौर (२) राग माला ।
६--महाराज ,मानसिंह (जोधपुर) को टीका
मिश्र बघु विनोद से १६५५ -अ्रकत्पर महाराजा सानसिंह (ज़ोषपुर) को भी
बिहारी सतसई का टीकाकार लिखा है । 'भ्राप रचित +१८ ग्रन्थ गिनाए जातेशहैं ।
७--राम जू की टीका :
मिश्र बघु विनोद मे १६८४ श्रंक पर राम जू की बिहारो सतसई विषयक
टीक्ना का-उल्लेख प्राप्त होता है । इनका कविता काल स० १६०१ के-पूर्व है ।
८--सरदार कवि की टीका -«
काधीराज ईश्वरी असाद नारायण सिंह के दरवारो कवि सरदार कृत्त टीका
रतनाकर जी /के पास थी । झ्रब इसकी वह प्रति भी नष्ट हो गई है जिसके प्रतिलिपि
कार नारायशादास कवि थे । सरदार कवि रचित श्रनेक टीकाएँ प्रकाशित हुई किन्तु
बिहारी-सतसई की .यह महर्वपूर्ण टीका इससे वंचित रह गई । सरदार कवि का
उपस्थिति काल स० १६४० घि० है ।
€-गदाघर कृत टीका
इस टीका के कुछ पृष्ठ स्व० ररनाकर जी को जयपुर से प्राप्त हुए थे ।
गदाघर सुकवि पद्माकर के वंशज थे ।
१०--घनजय कृत टीका
इसका उल्लेख “रस कौमुदी” में कदि ने किया है+
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