शाकद्वीपीय ब्राह्मण कवियों का राजस्थानी साहित्य में योगदान | Shakdwipiya Brahman Kaviyon Ka Rajasthani Sahitya Mein Yogdan

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Shakdwipiya Brahman Kaviyon Ka Rajasthani Sahitya Mein Yogdan by दर्शनलाल - Darshanlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ उसके विषय-वस्तु का चुनाव जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । जिस प्रकार शाकद्वीपीय ब्नाहण कवियो ने राजस्थानी साहित्य के उत्कर्ष में योग- दान दिया है, उससे कहीं बढकर इस ग्रन्थ के लेखक ने राजस्थानी साहित्य के इतिहास-निर्माण-श्खला की एक महत्त्वपुणं कड़ी हमारे सम्मुख रखकर स्तुत्य कार्य किया है । -- सुर्यस्ह राठौड़ संचालक मरु-जांगल साहित्य संस्थान फेफाना (श्री गंगानगर) डॉ. दर्शनलाल 'मामा' एक सफल श्रनुसंघाता और कृती लेखक है । उन के द्वारा प्रस्तुत “शाकद्वीपीय ब्राह्मण कवियो का राजस्थानी साहित्य मे योगदान नामक शोध-प्रबन्धघ समाज के लिए गीता श्रौर रामायण की तरह पवित्र है । यह प्रत्येक घर में संग्रहणीय है । मुते पुर्ण हार्दिक विश्वास है कि इस ग्रंथ का लाभ प्रत्येक वन्धु श्रवश्य ही उठायेगे । यह ग्रव्थ हमारे लिए प्रेरणादायक है तथा ऐसे सुये की तरह है जो अपने प्रकाशपुज से हमारी कौम को सदा आलोकित करता रहेगा । समस्त शाकद्वीपीय ब्राह्मणण-समाज के लिए यह गौरव का विपय है कि शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के उज्ज्वल नक्षत्र; प्रतिष्ठित कवि एव प्रसिद्ध विद्वादु डॉ. दर्शनलाल “मामा” ने श्रपते अथक परि- श्रम से यह ग्रन्थ लिखकर हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए है । विश्व में प्रथम बार शाकद्टीपीय ब्राह्मण कवियों पर इतनी ब्यापक सामग्री एक ही ग्रस्थ में देखने को मिली है, यह हमारे लिए




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