तुलसी और उनका काव्य | Tulsi Our Unka Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
375
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तुलसी और उनका जीवन &
शोर लोगों को श्राक्ित करें, जिससे उनके मन की ककंबाता श्रौर उसके
जीवन का कल्मप दूर हो श्रौर वे सुखी दें । इससे उन्होंने भक्ति पर श्रधिक .
तन्मयता -दिखलाई । पर भक्ति का विवेचन उन्होंने कवि ही की हसियत से
किया है 1
तुलसीदास एक रास के उपासक थे । उनके राम कौन थे ? 'में सेवक,
सचराचर रूप-रासि भगवन्त' कहने वाले रास । शर्थात यह सचराचर जगत
ही उनका राम था । उसी के लिए उन्होंने तपस्या की थी । उनकी तपस्या का
एक प्रत्यक्ष फल “रामचरितमानस' है ।
संसार की भयानक विपत्तियाँ सहकर कवि तुलसीदास ने हमें श्रमूल्य पदार्थ
*रामचरितमानस' के रूप में दान दिया हैं, उसकी तुलना संसार के क्रिसी दान से
नहीं हो सकती । 'रामचरितमानस” एक कल्याणकारी ग्रस्थ है १ वह एक साँचा
है, जिसमें जीवन को ढालकर उससे एक सुन्दर स्वरूप प्राप्त किया. जा सकता
है।.
इस ग्रन्थ-रत्त का श्रादर गरीब की शोंपड़ी से लेकर राजमहल तक है !
अ्रच्छे-प्रच्छे चिद्दादू भी इसका आनन्द लेते हैं श्र श्रपढ़ श्र भ्रक्षिक्षित भी
इसे बड़े चाव से गाते श्र सुनते हैं । हट
५. ज्ञान-प्राप्ति के लिए समष्य नें वर्णासाला का निर्माण किया पर जो उसे
नहीं जानते, वे ज्ञान से भी वंचित रह जाते हूँ । ज्ञान भर सनुष्य के बीच सें
बहू एक दीवार है, जिसे लाँघे बिना न कोई वाल्सीकि, व्यास को जान सकता
है, न कालिदास को श्रौर न शेखसादी या शेक्सपियर को । पर तुलसीदास में
अक्षरों की उस दीवार को तोड़ दिया हू । झक्षर-ज्ञान से रहित श्रह्ीर, घोबी
चमार, नाई, कहार श्रादि जातियों के लोग “मानस की चौपाइयाँ श्रपने जातीय
गीतों में सिलाकर गाते भ्ौर नाचते हैं । श्रक्षरों पर इस तरह की विजय संसार
सें ब्ञायद ही किसी कवि को प्राप्त हुई हो ।
से ग्रन्थ-रत्न की चर्चा के पहले उसके कर्ता कचि का जीवस-चरित जानने
की लालसा उसके प्रेमी पाठकों में स्वसावत: उत्पन्न होती है। पर खेद है, कर्चि में
झ्पने गौरव का गर्व था ही नहीं, इससे उसने श्रपने बारे में हमें कुछ नहीं
' बताया । झपने रास से विनय-प्रदयन करने सें प्रसंगवदा उसके -सुख से जो
कुछ निकला है, उसीसे हम उसके जीवन-चरित का. कुछ श्रनुसान कर सकते
हूं १ उसके सम्बन्ध की कुछ दन्त-कथाएँ भी सुख से .मुख में चली श्रा रही
उनसें थी सचाई का बहुत-कुछ श्रंग है । हुमने उन सबको, जो उपलब्ध हो
सकीं; एकत्र कर दिया है ।
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