नगरीय परिवेक्ष में शिशु मृत्यु की दर विभिन्नतायें कारण तथा निवारण | Nagariy Pariveksh Men Shishu Mrityu Ki Dar Vibhinnatayen Karan Tatha Nivaran

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Nagariy Pariveksh Men Shishu Mrityu Ki Dar Vibhinnatayen Karan Tatha Nivaran  by अवधेश चन्द्र मिश्रा -Avdhesh Chandra Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 उक्त कमी भारत में मुत्यु-दर से सम्बंधित विविध वर्षो। के आंकड़ों से परिलक्षित होती है, जिसे निम्न सारणी में प्रस्तुत किया गया है । मृत्यु-दर में लगातार यह कमी इस बात का द्योतक है कि मुत्यु के कारणों, विशेष रूप से महामारी, चेचक, मलेरिया, कालरा, प्लेग आदि पर नियन्त्रण किया गया है । इसके साथ ही, कृषि उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया गया जिससे उत्पादन मैं बृद्धि के कारण कुपोषण की समस्या हल हुयी, शिक्षा स्तर ऊँचा हुआ, उत्तम प्रसव सुविधायें उपलब्ध कराई गई और मेडिकल तकनीकी को काफी विकसित किया गया । इसी से. मृत्यु-दर में आशातीत कमी आई । मृत्यु-दर को तुलनात्मक रूप में समझने के लिये विश्व के कुछ देशों के ऑकड़े सारणी । -2 में प्रदर्शित किये गये हैं । सारणी- । .। भारत में मत्यु-दर (प्रति हजार )” वर्षा _ मुत्य॒-दर_ 1901-1910 42-6 ।911-1920 47.2 1921 -1930 8 । 931 - 1940 31.22 1941 - 1950 27 :4 । 951- 1960 22.8 1961 -1970 19.0 ।971-1980 14.8 1988 2 || .। 1990... 10.4 पार्क : जे0ई0 एण्ड पार्क के0, (1991) पार्वीस टेव्सट बुक आफ प्रिवन्टीव एण्ड सोशल मेडिसिन ; बनारसी दास भनार पब्लिशर्स। ; जबलपुर पेज 277 ।..... कलाइ्कायतयतासशडलचायकरकमाउतकसरपरय ककालस्वददाप कललयसय पर पस्ययथस्थथएसकसपासरपसमता,




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