नया साहित्य भाग १ | Naya Sahity Vol-1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ घफ़ादारी की समद
लटीका दबदबा था । अर जमे दे रैयतके अपने दो । आँ बदल गई । एक उछाइ और ठर्मग
ओर थी । ््ि
चौथे दिन झुदइ दी मखेरा और पनोलीते तीन आदमी परेशानीकी दालतमें शरण हूँद
रदरा पहुंचे । एकवी बोइमें अंदूंकदी गोलीका धाव या। उन्होंने बताया-” सिलेते बड़ी
री फ्रौज बौर पुलिस तोप बन्दूक लिये बरावतकों दबाती चली आरदी है। गांधीजी की जप
हारने, गाधी टोपी लगाने और कम्रिसरा झण्टा उठानेवालि सब लोग गिरफ्तार दो रदे दें ।
री भारी जुर्पाने दो रे ६ । जददीं बासियोंका, पता नदीं चलता, सरकार गाव भाग दे देती
। सिपादी बहू-बेटियोंकों देदस्सत कर रे दे । बड़े-बड़े किसानोंकी जमीन-जावदाद जब्त दो
६ | बहुत जगद रियाया और श्ौजमें छढाई हुई; ” फौजने गोली चलाई । ”
बिल्दरामें आतंक छा गया । राफूरे और कानसिइके चेदरे पर भी झौई फिर गई परर्तु
न्होंने सबके सामने खम ठोककर कदा-” सरी चादे सिर उतर जाय, दुस्मनके भागे सिर नददीं
कार्य । जो अपने बापदी औौलाद दोगा, सर जायगा पर पीठ नहीं दिखायेगा । ” वे अपने
र जा बठम भर गहोसा पैनाने लगे ।
पण्डितजीने भी सुना और हामी भरी परमस्तु मनमें सोचते रे, “ सरकारते भिड़ना बया
छल दे ह...मगरसे बेर कर पानीमें रहना । ससुर नंगॉंका बया है १ उनकी कौन इज्शत दे ।
रे किसका रुर १ मखे झादमीकों डर् ही हर दें ।
स्वीये दिनका चौथे पदर विल्दराके पाससे शुद्धरती गोरखपुरकी बजरीली सड़क; पर लारियों
ह छारियों चछी भाई । यदद छारियों दूसरी रंगविरंगी, नित्य दिखाई देनिवाली छारियोंते मिल
[री-भूरी, छाकी -ख़ारी थीं |
सदकक किलारे चोर ब्ौर दरोयाका खेल खत बच्चों ने गोंवमें जा, भयते फेटो भखिंसें
उबर दी, सरकार भाई दे ।
गव्सि बाइर भा भायंकित मनाने देखा--खारी मोटे गोईड की धरतीमें छऋपल को रीदती
बढ़ी अरद्दी हैं । ऐसी मोटरें शोगोंने कमी देखी न थीं । लोडंवी चादरसे मदी भर सम मगर-
नच्छकी थूथनी सी बाइर निकली बन्दूरें । रेवतका दिल बेठ गया । बदुर्द घरमें जा छिपीं और
एच्चे उनकी गोद ।
खाकी बरदी पदने, भारी भूठेंसे धरनी दो कराते सिपाही ,कंपोंपर अन्दूके लिप, गांवंम
बुस आयि | पीऐ-पीछे शक साइब लम्ब-रगद, एतले-एनले टोपके नीचे भी धूप चका्चीधन
भषमुदी भांखोंते धक नररमें सब बुछ देखने, दतोंमें दब चुरटते इस्का-इस्फा धु् छोड़ते
मा रे थे। छावनाक दारोय। साइन बर्दी पहने साइबर सांगे झुर-पुके कर बताने चले आ रहे
। साइड लुएलू-संफ्रेद चेहरे पर पक, अडीगसी निरस्कारपूणें मुस्कराइ थीं, जेटी गररियेके
कुतिके मुखपर होती दे, जब सैंकड़ों मेव़ोंा झुश्ट दसकी पक भी-मीसे अरत शोरर सिमिट,
नाता दे ।
गाव परस्टनसे फिर गया, गांव उत्तादी नीजवान+ यफूरा, मत कान सद, जिन्होंने
अंप्रेरी राज मिटाने बऔर सुराज स्थापित करनेसें प्रमुख भाग छिया था, सनक गये । डरनेरू
साइदकी बुरी गोबदे बोचमें दीपरऋे नीचे रूग गे । तहसील शर साइब सइरसे सपमने खो थे
दारोदा साइव थानेमें सियादियों, चौशीदारों श्र पटटनिया सिधाहियोंडों हिये गदमासों को
गिरक्तार कर रे थे । मतई, गए रा भर कान सिइका रद पदाकय न चटप ।
दारोगा साइद अपना दक डिये परिडतडीदी चौपाल पर पहुंचे । परिदटडोने इरीरको
बम्पन बदमें दर निगादोंमें झुरादि हा भरे दारोदा साइददी भोर देखा । दारोगा साइव निवास
कतेस्दनिशथे; जेसे दे परिटित टी को पहचानेत ही नहीं! एरिडत हो को सो दिरासतमें ले लिया सवा ।
अल्सर
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