आधुनिक संस्कृत नाटक (नई तथ्य नया इतिहास)भाग २ | Adhunik Sanskrit Natak (new Tathya Naya Itihas)bhag-2

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Adhunik Sanskrit Natak (new Tathya Naya Itihas)bhag-2 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द् आधुनिक संस्कृत-दाठक पर झूठ युद्धवृत्त बताया कि ब्रह्मा ने सन्घि करा दी । तुलसी ने उनकी प्रणय- विधि से जान लिया कि ये शंसचूड नही है 1 तुलसी ने उन्हें डाँट कर कहा-- हे कपट न्रेसचर, कस्त्वं शीघ्र कथय स चेत्‌ शाप ददामि । फिर तो हरि अपने रूप में प्रकट हुए । उन्हें देखकर तुलसी' अपना भैय॑ खो बैठी । उसने कहा कि मेरे पति को मरवाने के लिए तुमने मेरा पाततिब्रत्य नष्ट किया । अब तुम्हे शाप देती हूँ स्वें शिलारूपों भव । वह क्षोभ से विलाप करने लगी । तब हरि ने उसके पूर्वजन्मो की कथा सुनाई । उन्होंने तुलसी-पत्र के घामिक पुण्यात्मक महत्त्व की स्थापना कर दी । उसने भौतिक 'हारीर छोड़कर दिव्य देह से विष्णु के हृदय में स्थान कर लिया हर तुलसी का पातिब्रत्य नप्ट होने पर शिव ने दखचूड को शूल से तत्काल मार डाला । शिव ने उसकी अस्थि समुद्र में फेंक दी, जिससे आज भी दंख समुद्र मे मिलते हूँ । शैली द शंखचूददघ में संस्कृत मापा नितान्त सरल, सुवोध ओर संपादोचित हैं । कही ' कही संस्कृत-निप्ठ असमी संस्कृत से भमिष्न लगती है । यया,' नवधनरचिर - सुवेश .. श्यामराय। पौतसस्त्रे प्रकाशय सीदामिनी-प्राय ॥ १२२ न्रिवलिवलितगले कौस्तुभेर ज्वाला । कह. से श्राजानु-लम्वित-बहि आछे वनसाला ॥ १२३ कवि सस्कत और असमी--दोनो मायाओ में गीतों का सप्रन्यन करता है ! सूभ्घार दूसरों का प्रतिनिधि बनकर कही संस्डत और कही भसभी बोलता है । कवि की संस्कृत-मापा अनेक स्थलों पर व्याकरण और छन्द के नियमों का बसे ही अतिक्रमण करती है; जैसे मध्ययुग में अन्य मापा-कवियों की संस्कृत-रचना में दिखाई पढ़ता है 1 गीत गीत-प्रघुर इस नाटक में चालेज़्ो, वरारी, मुक्तावदी, ठेछारी, काफिर, तुर, , देवास, श्री; मालची» कल्याण आदि राग है। तदनुरूप विविध रागों का प्रयोग इनके गायन में है। गीतों के अन्त में कवि में अपना नाम मी कहो-हीं पिरोया है। यया, दोनद्विज बोले वाणी सुन साई ठकुराणी भारमदोप विरह इमत 11१४३ स्तुतियो की प्रचुर्ता है। थपा वृपमध्वज के द्वारा शिव वी स्तुति है--




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