सच्ची शिक्षा | Sacchi Shiksha

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Sacchi Shiksha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कर हमारी शिकाके महत्वके मुद्दे [ दूसरी बुबराठ छिक्ना-परिपदका मापन पु प्यारे माजियों बौर बहनों बे सिस परिपदका समापधि अनाकर आाप सबने मुझे आामारी बनाया है। मैं चागठा हूं कि मिस पदकों सुपोभित करने छायक बिश््ता मुझमें गहीं है। मुझे जिस बाठका मी लयाठ है कि देससेदाके दूसरे झेतोंमें मैं 'थो दिस्सा छा हुं शुससे मुझे जिस पदकौ सोस्यठा नहीं मिल थाती । मेरी योप्पता बेक ही हो सकती है. बौर बहू है लुजराती मापाके प्रेमकी । मेरी आह्मा पबाही देती है कि बुजरातीके प्रेमकी होड़में पहले दरजेसे कममें मुन्ने संतोष गईं हो सकता बौर जिसी मान्यताके कारण मैने यह जिम्मे शारीका पद स्वौकार किया है। मुझे आशा है कि जिए शुदार बृत्तिसे लापने मुझे यह पद दिया है भुसी बूत्तिसे बाप मेरे दोर्पोको दरगुजर करेंगे बौर बापके ओर मेरे जिस काममें पूरी मदद देंगे। यह परिपद शमी थ्रेक बरसकौी बच्ची है। जैसे पूषठके पांव पाढनेमें दिखामी देते है, बैसे ही जिस शाककके बारेसें भी मालूम होता है। पिछड़े सालके कामकी रिपोर्ट मैने पड़ी है। बह किसी जौ टंस्थाकों धोमा देनेगाक्नी है। संजियनि समय पर परिपदक्षी ऋौमपी रिपोर्ट छपवाऋर बबाजौका काम किया है। पहु हमाए सौमाप्य है कि हमें बैठे सत्री मिले है। जितने बइ रिपोर्ट से पढ़ी हो मुत्दें जिसे पढ़ने और जिस पर सतम करनेकी मै सिफाप्णि करता हूं। शौ रपजितरान बाबामामीकों पिछले सार यमराजने शरुठा क्रिया जिससे हमारा बड़ा शुकसान हुआ है। भुनके जैसा पढ़ा-लिखा आपसी जवबानीसें चल बला यहूं घोचनौप शौर विचारणौय बात है। लगदान मुगक्ती आात्पाको पांहि प्रदान करे शौर मुनके शुटुम्दको जिस बातसे सास्त्यवा मिले कि इम सब शुनके बुखमें लापौदार है। * यह मापय १९१७ में अॉचमें हुआ दूसरी गुजरात शिज्ञा-यर्पिषके लप्पल्पदपे दिया थया था।




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