स्वामी दयानन्द सरस्वती का निजमत | Swami Dayanand Saraswati Ka Nijmat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रहे ३ स्व सुदम्मद यूदुफ पडीटरयुर ( क्रादयानी ) लिस शुमार किया जानाथा जी पानी की तरह शरान पीता हो पार हृंचानों फीतर-जिना करता दो ब्रोर नयशी दर्द को तरद जाजिस बसपफाकरों (बाग नाक का मजूदव ) उसी जसाने में और उसी देश में हजरत जुदम्मद सा में इस्लाम फी नीच रथखा 1 क्र मर श्रव देशकों परिरिधफ्के हिारगेखे यह तो रूाफ ही है फि पेखें सनयमें उत्पन्न, होते घाडे इललाम' 'घर्मसें दशनिक 'घिचार शोर तारिविक विवेच 1 कहांसे हसकरे है । उन लोगों में सविष्य पाल्ति तो सार थी टी नहीं बेतों निरेखुस्वार थे इसलिए उनकी असर. हूरे तलेगर दो बतमसान इसलाम या कारण चनी 1नसकों « मसलगाज ने तासोस फारोज शाएीमें स्त्री फार लिया हैं । + इस चुनारा सोरुपद हम बरुतपरस्ता रा चारेस्त इस थे झएन श्रानशपररतां डानशेशा हुस चहुंशत । न्यर्थात्‌' सूर्नियोच्सों जजाइासा पार चुतपरस्तीको भी जता दाल .पारसियी को भी सार डाला प्रौर उनयो 'प्रागसों भी इारदिया । श्लचदनी श्रौर है नयांग दोनों का यही सस मैं कि इस- लामंके गारम्भरपें सारेसध्य पशियास चौदपर्मधा झस्य देशोंमें मी बीज फ़िलासफों श्रसर कर रददीधी श्रफगानिस्तान में प्राय ही थे इस सिंए सुसकयानो पी चनपड़ी श्रौर वीद्ध लोग सलवार के दरसे इपलाय में दाखिल होने गे चल़ियार को समय समय मुद्दम्मदं , खिल जीने कुल दौसों खाद्यपे की चात है




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