हिंदी साहित्य समीक्षा | Hindi Sahitya Samiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ) ः श्३
इस प्रकार भिन्न भिन्न युगो में समालोचना की भिन्न सिन्न कसौटी
रही ।
समालोचना कोई कला है या विज्ञान ? कला वह है जिसमें कोई
उपयोगिता (पाए) ्न्तर्हित हो । विज्ञान एक युक्ति-
समालोचना कला, युक्तपूण व्याख्या है । विज्ञान के नियम बिलकुल ठीक
है या विज्ञान तर सतके हुआ करते हैं । कला के नियम श्रनिशिचत
और ढीले ( 6]155110 ) होते हैं ।
इस दृष्टि से तो समालोचना एक विज्ञान है कि इसके नियम होते
हैं। पर यदि कहा जाय कि एक प्रकार के नियम सदा के लिये लागू रहते हैं, तो
ठीक नहीं ! समय समय पर समालोचना की कसौटी बदली जाती है श्र
साथ ही साथ नियम बदलते हैं । समालोचना कला भी है क्योंकि इसकी उप-
योगिता बहुत अधिक है । इसके द्वारा साहित्य ठीक माग पर लाया जा
सकता है । इस तरह समालोचना दोनो है, कला भी श्रौर विज्ञान भी ।
तब यद्द प्रश्न उठता है कि 'समालोचना में सत्य का कोई स्थान भी
_......... है? सत्य शब्द बहुत ही व्यापक और विवाद-ग्रस्त है ।
लमालावना म.. जो वस्तु हमारे लिये श्रसत्य है वह दूसरे के लिये सत्य
खत्य का स्थान ह्दो सकती है ण
सत्य केशीन अथ होते हैं । ( १ ) वैज्ञानिक अर्थ--वैज्ञानिक दृष्टि
से सत्य का श्रथ निर्दिष्ट वस्वुञ्ों की सत्यय्रां है । वस्तुझ्नो का अस्तिव
सत्य है ।
(२) सबमान्य या सम्भाव्य ( वठ006[वाण पाए )--किसी वस्तु
की सत्यता जो कि विद्यमान न हो पर संभव अवश्य हों ।
(३) कलाकार की सत्यता (80006&7पएए)-एउन भावनाश्रो का
प्रभाव अपने पाठकों पर डाले जिनको वह स्वयं श्रनुभव करता हो |
समालोचक का सत्य तीसरे प्रकार का सत्य है । वह उन्दीं बातों को
पाठकों के सामने लाता है जिनको वद्द स्वयं अनुभव करता है |
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