हिंदी साहित्य समीक्षा | Hindi Sahitya Samiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका ) ः श्३ इस प्रकार भिन्न भिन्न युगो में समालोचना की भिन्न सिन्न कसौटी रही । समालोचना कोई कला है या विज्ञान ? कला वह है जिसमें कोई उपयोगिता (पाए) ्न्तर्हित हो । विज्ञान एक युक्ति- समालोचना कला, युक्तपूण व्याख्या है । विज्ञान के नियम बिलकुल ठीक है या विज्ञान तर सतके हुआ करते हैं । कला के नियम श्रनिशिचत और ढीले ( 6]155110 ) होते हैं । इस दृष्टि से तो समालोचना एक विज्ञान है कि इसके नियम होते हैं। पर यदि कहा जाय कि एक प्रकार के नियम सदा के लिये लागू रहते हैं, तो ठीक नहीं ! समय समय पर समालोचना की कसौटी बदली जाती है श्र साथ ही साथ नियम बदलते हैं । समालोचना कला भी है क्योंकि इसकी उप- योगिता बहुत अधिक है । इसके द्वारा साहित्य ठीक माग पर लाया जा सकता है । इस तरह समालोचना दोनो है, कला भी श्रौर विज्ञान भी । तब यद्द प्रश्न उठता है कि 'समालोचना में सत्य का कोई स्थान भी _......... है? सत्य शब्द बहुत ही व्यापक और विवाद-ग्रस्त है । लमालावना म.. जो वस्तु हमारे लिये श्रसत्य है वह दूसरे के लिये सत्य खत्य का स्थान ह्दो सकती है ण सत्य केशीन अथ होते हैं । ( १ ) वैज्ञानिक अर्थ--वैज्ञानिक दृष्टि से सत्य का श्रथ निर्दिष्ट वस्वुञ्ों की सत्यय्रां है । वस्तुझ्नो का अस्तिव सत्य है । (२) सबमान्य या सम्भाव्य ( वठ006[वाण पाए )--किसी वस्तु की सत्यता जो कि विद्यमान न हो पर संभव अवश्य हों । (३) कलाकार की सत्यता (80006&7पएए)-एउन भावनाश्रो का प्रभाव अपने पाठकों पर डाले जिनको वह स्वयं श्रनुभव करता हो | समालोचक का सत्य तीसरे प्रकार का सत्य है । वह उन्दीं बातों को पाठकों के सामने लाता है जिनको वद्द स्वयं अनुभव करता है |




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