विवाह, सेक्स, और प्रेम | Vivah Sex Aur Prem

Vivah Sex Aur Prem by प्रमिला कपूर

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आमुख प्रेम, विवाह तथा सेक्स के वारे में चर्चा करना तथा मत व्यक्त करना भारत में अपेक्षाकृत नयी वात है । श्रामतौर पर अ्रव लोग यह जानने के लिए उत्सुक होते जाते रहे हैं कि समाज के विभिन्‍न वर्गों के लोग इन महत्त्वपूर्ण समस्याओं के बारे में क्या सोचते हैं, क्या महसुस करते हैं श्रौर क्या करते हैं । मानव-जीवन के इन महत्त्वपूर्ण पहलुग्रों के प्रति समकालीन श्रभिवृत्तियों श्रयवा व्यवहार के बारे में या इन श्रभि- चृत्तियों में ही रहे परिवर्त॑नों के वारे में किसी वैज्ञानिक तथा विस्तृत श्रव्ययन के श्रभाव में लोग श्रामतौर पर तथा श्ररवज्ञानिक स्थल मात्यताश्रों को श्रपनी तथा श्रपनी ,जानकारी का श्राघार बना लेते हैं । प्रस्तुत अध्ययन में यह मानकर चला गया है कि किसी भी व्यक्ति की श्रभि- वृत्तियाँ उसके श्रात्मगत जीवन का झ्राघारभुत श्रंग होती हैं श्रौर बहुत बड़ी हृद तक उसके विचारों तथा व्यवहार को निर्धारित करती हैं । इस पुस्तक में मैंने प्रेम तथा सेवस-जीवन के सम्बन्ध में दिक्षित श्रमजीवी स्त्रियों के वास्तविक व्यवहार तथा श्राच- रण के व्योरे की वातों पर प्रकाश नहीं डाला है। परन्तु चूँकि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के किसी समूह के प्रत्यक्ष तथा प्रच्छनन व्यवहार पर श्रभिवृत्तियों का. टूरगामी प्रमाव पड़ता है, इसलिए इस पुस्तक में मैंने इस वात पर ध्यान केन्द्रित किया है कि शिक्षित श्रमजीवी युवतियाँ इन तीन मुख्य पहलुग्रों के वारे में कया श्नुभव करती हैं तथा सोचती हैं । इस श्रष्ययन का सूुत्रपात 1959 में हुमा था जब मैं श्रपने पी-एच० डी० के शोघ-मनिवस्व के लिए. श्राघार-सामग्री एकन्रित कर रही थी, जिसमें थिक्षित श्रमजीवी हिन्दू युवतियों की श्रमिवृत्तियों का श्रध्ययन किया गया था | मैंने श्रपना पी-एच० टी ० का कार्य सुविल्यात समाजविज्ञानी प्रोफ़ेसर श्ार० एन० सक्सेना के धाग्य सागदशन में श्रागरे के समाज-विज्ञान संस्थान में क्रिया था । उस श्रघ्ययन में ह्मियों की शिक्षा रोजगार, विवाह, संस्कृति, धर्म, मनोरंजन, नतिकता, राजनोति प्रौर सम्पूर्ण जीवन के लिन




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