आत्म कथा शरत | Aatm Katha Sharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
भाग्य-चिंडम्वित लेखक-सम्प्रदाय
उस दिन विचार पूर्वक हिसाव लगाकर मैने समक लिया--
जो लोग यथार्थ साधना करते हैं, साहित्य जिनका केवल विलास
नहीं है, साहित्य जिनके जीवन का एकमात्र ब्रत है, ऐसे जितने भी
लोग इस देश में है उनकी संख्या तो ऑगुलियों पर गिनी जा
सकती है |
ये साहित्य सेवी अट्लान्त परिश्रम कर भूखे रह, रात-रात जागकर
देश के लिए साहित्य रचना करते हैं । सुनता हूँ वह साहित्य जन-समाज
का कल्याण करता है, किन्तु हम क्या उसका मुल्य उन्हें दे पाते हैं ?
जिन साहित्यिकों ने देश के लिए प्रारों की बाजी लया दी,
उनको इस त्याग झोर चलिदान का पुरस्कार दरिद्रता ओर लांछना
के रूप में मिला । साहित्यसेवी बहुत अधिक घन-सम्पत्ति अजन कर
पित्तशाली एवं घनवान होना नहीँ चाहते । वे चाहते हूं केवल थोडा
सा स्वच्छन्द जीवन, स्वनाशकारी दरिद्रता के घोर अभिशाप से
मुक्ति । वे चाहते हैं केवल निश्चिन्तता से लिखने योग्य अनुकूल
जलवायु, किन्तु दुख है कि उनको यह सुलभ नहीं । उन्हें श्रार्जीवन
केवल भाग्यविडम्वित होकर ही समय विताना पढ़ता है। जिनकी
कल्याण कामना करते-करते उन्होंने अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया,
वे एक चार भूले से भी उनकी ओर आँख उठाकर देखते नहीं ।
देश के लोग उन साहित्यसेवियों को कुछ मी नहीं देते, किन्तु
वे उनसे पाना बहुत चाहते है । यदि कहाँ किसी की रचना जरा सी
खराब हुयी नहीं कि वस उसी क्षण समालोचना के विष से और
निन्दा के ती₹ष्ण शर से उस साहित्य सेवी को जजरित कर डालेंगे ।
इस अतिनिन्दित गल्प लेखकों के दैन्य की कोई सीमा नहीं ।
इनके लिखित विषयों को पढ़कर सर्व साधारण आनन्द तो जरूर
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