पुराना नियम | purana niyaam

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purana niyaam  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ १२--६ ६] क्या देखा कि उसकी चोच में जलपाई का एक नया पत्ता है, इस से नूह ने जान लिया, कि जल पृथ्वी पर घट गया है। १२ फिर उस ने सात दिन श्रौर ठहरकर उसी कवूतरी को उडा दिया, श्रौर वह उसके पास फिर कभी लौटकर नआआई। १३ फिर ऐसा हुमा कि छ सो एक वष के पहिले महीने के पहिलें दिन जल पृथ्वी पर मे सूख गया । तब नूह नें जहाज की छत खोलकर क्या देखा कि धरती सूख गई है। १४ श्र दूसरे महीने के सताईसवे दिन को पृथ्वी पूरी रीति से सूख गई ॥। १४ तब परमेरवर ने, नूह से कहा, १६ तू अपनें पुत्रो, पत्नी, भ्रौर बहुभो समेत जहाज में से निकल आ्रा। १७ क्या पक्षी, बया पशु, क्या सब भाति के रेगने- वाले जन्तु जो पुथ्वी पर रेंगते है, जितने शरीरधारी जीवजन्तु तेरे सग हैं, उन सब को भ्रपने साथ मिंकाल ले भरा, कि पृथ्वी पर उन से बहुत वच्चे उत्पन्न हो, श्रौर वे फूले-फले, भ्ौर पृथ्वी पर फैल जाए। श्८ तव नूह, और उसके पुत्र, श्र पत्नी, भर वहुए, निकल आई १४ आर सब चौपाए, रेगनेवाले जन्तु, श्रौर पक्षी, श्रौर जितने जीवजन्तु पृथ्वी पर चलते फिरते है, सो सब जाति जाति करके जहाज में से निकल झ्ाएं। २० तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई, श्रौर सब शुद्ध पशुश्नो, और सव शुद्ध पक्षियों में से, कुछ कुछ लेकर वेदी पर होमवलि चढाया। २१ इस पर यहोवा ने सुख- दायक सुगन्ध पाकर सोचा कि मनुष्य के कारण में फिर कभी भूमि को शाप न दूगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता हूँ सो चुरा दही होता उत्पत्ति १ है, तौभी जैसा में ने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारूगा। रर झ्रव से जव तक पृथ्वी बनी रहेगी, तव तक वोने श्रौर काटने के समय, ठण्ड श्रौर पतन, धूपकाल श्रौर वीतकाल, दिन शझ्रौर रात, निरन्तर होते चले जाएंगे ॥! फिर परमेश्वर ने नूह भ्रौर उसके पुत्रो को आशीष दी भ्ौर उन से कहा कि फूलो-फलो, झ्ौर बढो, भ्रौर पृथ्वी मे भर जाभो। २ श्र तुम्हारा डर श्र भय पृथ्वी के सब पशुत्रो, श्रौर श्राकाण के सब पक्षियों, श्रौर भूमि पर के संब रेगने- वाले जन्तुग्नो, श्रौर समुद्र की सब मछलियों पर बना रहेगा. बे सब तुम्हारे वण में कर दिए जाते है। ३ सब चलनेवालें जन्दु तुम्हारा आहार होगे, जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड दिए थे, वैसा ही अब सब कुछ देता हू । ४ पर मास को प्राण समेत अर्थात्‌ लोहू समेत तुम न खाना । ४ भ्रौर निश्चय मे तुम्हारा लोहू अर्थात्‌ प्रारा का पलटा लूगा सब पशुश्ो, और मनुष्यों, दोनो से में उसे लूगा मनुष्य के प्राणा का पलटा में एक एक के भाई बन्धु से लूगा । ६ जो कोई मनुष्य का लोहू वहाएगा उसका लौहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा क्योकि परमेदवर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के भ्रनुसार बनाया है। ७ श्रौर तुम तो फूलो-फलो, श्रौर वढो, श्रौर पृथ्वी में बहुत बच्चे जनमा के उस में भर जाश्ो ॥। ८ फिर परमेदवर ने नूह श्रौर उसके पुत्रों से कहा, ६ सुनो, में तुम्हारे साथ झौर तुम्हारे पर्चात्‌ जो तुम्हारा वण होगा, उसके साथ भी वाचा बाधता हू।




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