नंद काव्यालोचन | Nand Kavylochan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१
होना उदाहरण के द्वारा ट्खिलाया गया हैं। इसी समय चद्रोदय
का सालकारिकिचियण हश्मा हैं, जिसमे मदन के फाग खेलने की उल्ेक्षा
चरिताथ की गई ऐ । इस प्रकार इसके द्वारा अपिम रास-रस-क्रीडा की
शचना दी गई है । इससे स्पष्ट है कि यहा प्रक्ति-वणशान को कवि साभि
प्राय रखना चाहता है । इसी के साथ चद्र-किस्णां के बुभ्न-कजाटि से
भलकने की चारुता से टिखलायी हई उम्प्रेश्ना के ब्याज से वहाँ
आकर उनके दृरि-रास के देखने की इच्छा थी प्रगट की गई है ।
आगे राम-वर्णन हैं, जिसमे मकृति के विविध सुन्दर पठाथो को
उपमानो के रूपों में लिया गया हैं । यह तो सामान्य कवि-परंपरा झ्रोर
काव्य-पद्धति के ही रूप में दै ।?
रास-लीला के लिये दरि द्रागे यमुना-तीर पर श्राते हूं, इस स्थल
' पर फिर तनिक प्रकृति का उल्लेख किया गया है 1; येंहों शीतल,
+ सुर भित समीर, पराग-रज का प्रसार, तथा मधुप-गु जार दिखाते हुए;
मालती, मंदार, लवंगाटिं कतिपय पेड़ों श्ौर पौधों की सुरभि-
प्रसारण-प्रगति का उल्लेख केवल उद्दीपन के रूप में किया गया है, ऐसे
स्थल पर श्री हरि घालुका के ऊपर बैठ गये, यहाँ गोपियों ने अपने वस्र
:. नहीं बिछाये, किंठ श्रागे हरि के लुप्त होकर फिर प्रगट होने पर बिछाये
हैं; जिसका उल्लेख किया जा चुका है। 1
- इस सब रति-भावोत्पादक परिस्थिति के साथ गोपियों के होते हुए.
',. भी भी हरि ने श्रपने प्रसाव से मदन को पराजित कर दिया है, स्वयमेव
उससे प्रभावित नहीं हुए ! यह हरि की काम पर विजय है । मदन विफल
!. ; हैकर गिरे पढ़ा, तबरति निज सुखोदक से उसे सचेत कर ले भागी । इस
|, मसंग से कवि ने ध्वनिंत किया है कि यह सारा प्रसंग का्म-विजय का
प्रसंग,है--इसमें लौंकिक वासना का श्रारोप करना समीचीन नहीं |
व, न उलट लमन्वस्ककमजन
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र
दे
_ ,.. * एतदथ देखिये-हमारा “साहित्य और प्रकति”- नामक
हि गय। पे १२, १३, रद, ८, रेट, र४
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