शिक्षा मनोविज्ञान की नई रूपरेखा | Shiksha Manovigyan Ki Nai Ruparekha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
208 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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यों की निधि (८०७5) में भिन्नता होती है। व्यक्ति अपने सामथ्य
निधि के भ्रनुसार ही श्रपना विकास करता है । फिर भी पूर्ण विकास के लिए
समय पर उसे सहायता की आवइयकर्ता होती है । भिन्न २ व्यक्तियों को
पिन्न २ प्रकार की सहायता की श्रावस्यकता होती है । श्रत: व्यक्तियों के
बौद्धिक व. स्वभाव (पट शफट0) सम्बन्धी श्रन्तर का. भी अव्ययन के स्लो
'भ्रावइवक है । हमें ब ्चों की. रुचि भिरुचि (शुएएएर्ट) और योग्यता
( 0) से भी परिचित होना चाहिये ताकि हम उनके सही विकास
के लिये सहायक हो सक । मदर कम री री पक
श्र हमें विदवास हो जाना चाहिए कि बच्चे के सही विकास के लिए शिक्षक
_ को मनोविज्ञान की सहायता लेनी होगी । मनोविज्ञान की परिसीमाश्रों के बाव-
जूद भी यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि झ्राघुनिक मनोविज्ञान का
पभिक्षा के क्षेत्र में महान योग है । यह भी प्रश्त उठता है कि मनोविज्ञान द्वारा
ऑपित ज्ञान को समकते के लिए शिक्षक के पास पर्याप्त समय कह! है ? बहुत
ज्ञान को पाठ्य पुस्तकों व. (िरिव्डा हा ८0पा86 ) द्वारा. उपलब्ध करना
होगा परन्तु इस सम्बन्ध में एक उद्धरण झ्रावश्यक है:-- ले
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हाफ बॉज्छिघा, टॉस हा 2 50 पटीफू _ 05 (0. फ़ातटाडादाात
और सामूहिक दोनों ही टष्टियों से क्रम बद्ध श्रघ्ययन
निरीक्षण के समान_अ्रन्य कोई भी. पुस्तक सहायक
ने हमारी बच्चों को समकने व. उनके सम्बन्ध
[को बताया जिसके लिए हम उनके प्रति
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