गूलर गुण विकास | Goolar Gun Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.57 MB
कुल पष्ठ :
64
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
इनका जन्म 22 दिसम्बर 1858 में बिहार के बगहा शहर के रत्नमाला गांव में हुआ था ।मिश्र जी का संपूर्ण जीवन साहित्य एवं समाज के हित में समर्पित रहा है।
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आरोग्य-प्रकाश दि दी दी. दी वि दे दी दि दि दी दे दि दे दि दी दी. दि वि दी दे दी दी दि दी दी दी की. की कक हक इसी तरह काम कार्तिकेयजी बलभद्रजी तथा विश्वेदेव १० है दसु ८ तुपित २6 ६४ बात ४९ प्राण झापान समान उदान व्यान सहाराजिक २३९० दिरगज ८ दिक्करिणी ८ साध्य १९ हे चियाघर अप्सर यक्ष रक्ष सन्थर्व किन्नर पिशाच गुकाक सिद्ध भूत १० को भी प्रणाम है । यो ही दश महाबिया योगिनी ६४ सप्तशती डुर्गाजी के श्रन्तर्गत ब्रद्धि सिद्धि ८ ख्याति कृष्णा धूंस्रा श्तिसौम्या अतिरोंद्रा विणणुमाया चेतना निद्रा रोद्रा नित्या गौरी घात्री ज्योत्हना सुखा छुधा छाया शक्ति तृप्णा शान्ति जाति ला शान्ति श्रद्धा कान्ति लदमी ब्रत्ति स्दति दया तुष्टि मद्दारात्रि कालरात्रि मोहरात्रि श्री ही इंश्वरी बुद्धि पुष्टि शाम्ति शिवा भड़ा माता श्रान्ति इन्द्रियाधि्ान्ी व्याप्ति स्वाहा स्वघा वपट सुधा सन्प्या साविन्नी गायत्री उप्णिकू अजुप्टुपू बहती पंक्ति त्रिप्टुपू + जगती छन्दोदेवता महाविया सहद्दामाया सहासेवा महासोहा महादेवी महासुरी प्रकृति माहेश्वरी नारायणी कौसारी वाराहों नारसिटी ऐन्द्री रुद्ाणी विन्प्याचलवासिनी रक्तदन्तिका शताशी शाकम्सरी दुर्गा भीमा चामुण्डा कार्तिकी तथा शोकरदिता सड़दा शीतला एवं राधा ललितादि रुक्मिणी सत्यभामादि । एवं गड्ठा सरस्वती सरगू गंडकी कौशिकी नर्मदा शोण कावेरी गोदावरी पश्चनद प्रयागादि तीथे काशी आदि सप्तपुरी जालन्वर आादि १५२ सिद्धपीठ श्ौर श्रुति _श्रादि को थी प्रणाम हैं एवं प्रथ्वी जल समुद्र आकाश को सी सबविनय अणाम है तथा उदुम्वर बन खदिर सार्गी को भी जो सभी यज्ञाग५ दरिरुप ठोकोपकारी हैं झ्ौर सबके लिये प्राथना अणाम सबके श्र्थ में भी अभिमत है । और सबसे घाथना यहीं है कि-- शूलर के पत्तों से ससार की रक्षा होवे | दोहा सल्निधि यह यज्ञाज्ञ है सुरतरुसम सुखधाम । सुमनसुद्शन से विदित करे पूर्ण सब कास ॥ २यू०
User Reviews
vibhank DHAR
at 2019-08-27 19:01:02"महत्त्व"