अर्थशास्त्र - शिक्षण | Arthashastra - Shikshan
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गुरुसरनदास त्यागी - Gurusaranadaas Tyagi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अयंशास्त्र का परिचय छ
(१) सर्वप्रथम मनुष्यों को आवश्यकताओ का अनुभव होता है तथा इन
की कोई सीमा नहीं है ।
(९) डितोय यह है कि इन आवश्यकताओं को पूर्ण करने के साधन
सीमित हैं ।
(३) अन्तिम यह कि इन सीमित साधनों का अनेक प्रकार से उपयोग हो
सकता है ।
बहुत से आधुनिक अर्थशास्त्रियो ने रोविन्स की विचारधारा का समर्थन
किया । स्टिगलर के अनुसार “अर्थशास्त्र उन नियमों का अध्ययन है जो प्रति-
स्परद्धी आवश्यकताओं की अधिकाधिक प्राप्ति के लिए सीमित साधनों और
उनके वितरण को नियत्रित करता है 1
प्रो० केयनंक्रोस (0810८7085) के विचार भी रोविन्स से मिलते-जुलते
हैं । इनके अनुसार, “अर्थशास्त्र मानव व्यवहार पर अपूर्ण साघनों के प्रभाव का
अध्ययन उन परिस्थितियों मे करता है जत्रकि मातव के पास अपने सीमित
साधनों के द्वारा प्रतिस्पर्धी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए उनमे वितरण
की स्वतन्त्रता होती है ।”*
आलोचना--परन्तु प्रो० रोबिप्स और उनके साथी भी समालोचकों की
हृष्टि से न बच सके । डरबिन (0एा910), फ़े जर (सि8$टा), बुटिन (/00160)
तथा बेवरिज (8८४८2) जेसे जर्य॑-शास्त्रिया ने माशंल के सिद्धान्तो की
प्रबलता से रक्षा की । बुटिन (फ़00160) का कथन है, “अयं-शास्त्रियों के लिए
यह बहुत ही कठिन है कि वे अपने विवेचन से अर्थशास्त्र के मादश का
पूर्ण अपहरण करें ।”*
प्रो० फ्रेजर (856) का मत है कि, “अर्थशास्त्र मुल्य-सिद्धान्त था साम्य-
विश्लेषण से कही अधिक है ।”*
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