जाने आलम और महकपरी | Jaane Aalam Or Mahekpari

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Jaane Aalam Or Mahekpari by नुसरत नाहिद

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आलम और सहकररी शासन व्यवस्था चलाने की तुलना में ब्रिटिश प्रणाली को अपनाने पर जौर दिया। रेजीडेन्ट कर्नल रिचमेण्ड के माध्यम से यह योजना स्वीकृति के लिए गवर्नर जनरल के पास कलकत्ता भेज दी गयी । उधर 12 जनवरी 1848 को स्वेच्छा से त्यागपत्नर देकर जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने कलकत्ता से इंग्लैण्ड के लिए प्रस्थान किया और उसी दिन कलकत्ता पहुंचकर लॉर्ड डल्हौज़ी वास्तविक नाम जेम्स ऐन्ड्रयू ब्राउन रैम्से ने गवर्नर जनरल का पद भार ग्रहण कर लिया। वजिद अली शाह की योजना जब लॉर्ड डल्हौज़ी के पास स्वीकृति हेतु पहुंची तो उन्होंने उसे बिना देखे ही अपने विदेशी सचिव हेनरी ईलियट को उसे अस्वीकार करने का निर्देश दे दिया क्योंकि इस नये महत्वाकांक्षी गवर्नर जनरल की नीति बचे हुए भारतीय राज्यों के हड़पने की थी। अपनी योजना अस्वीकृत हो जाने पर वाजिद अली शाह बहुत उदास हो गये। उनकी प्रवृति राजकाज से हट कर नृत्य और शाइरी की ओर उन्मुख हुई । आगे चल कर उन्होनें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनी बेगमों के रहने के लिए मई 1848 में कैसरबाय की नीव डाली और इससे लगे बहुत से दु-मंजिले भवनों का निर्माण प्रारम्भ किया जिसमें उनकी बेगमात रह सकें अब तक बादशाह का प्रधान निवास स्थान छत्तर मंजिल था । कैसरबाग का मिर्माण हो जाने के बाद वह स्थाई रूप से यहीं रहने लगे इसके निमार्ण में 80 लाख रूपये खर्च हुए थे और सन 1850 में यह बन कर तैयार हो गया था ।




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