उपनिषत्प्रसाद | Upnishatprasad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ईशोपनिषद् । हर
मखाविरण्शुदमसपापदिद्् ।
कविमनीषी परिभू: खयम्भू-
यांथातथ्यतोज्थांन्यद्घाच्छा-
'। इवतीस्य: समास्य! ॥ ८ ॥
स तत्चज्ञः पयंगातू सर्वमगमत्् फिं पर्य-
गादिति विशेषजिज्ञासायां प्रथमं निर्विदे-
पतखरमाह शुक्रम सारमृतं प्रकाशरूप॑ वा
अकायम् अशरीरम् अन्रणम् अखण्डमु अ-
््राविरम् स्रावा नाव्यंस्तच्छुन्यम् स्थूठदे-
हशून्यम शर्म नि्मेठम् अतः अपापविद्टमु
पापाद्यनाश्रयमु ब्रह्मेतिभावः । अथवा पडपि
क्रियाविशिषणस पुनः स एवं कवि त्रिका-
« | ठज्ञ' मनीषी अन्तयांमी परिमुः स्वेस्य
तिररकतां सर्वोत्तम इति यावत् त्वयम्मूः
अकारणः देश्वरस्साश्निति यावत् शाश्वतीम्पः
| नित्याग्यो वह्ीक्यो वा समाभ्य, बहुमिवे-
ष्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...