कम्युनिस्ट शिक्षा के बारे में | Kamyunist Shiksha Ke Bare Men

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“निर्माण” की बात कह देना तो बहुत आसान है, लेकिन निर्माण का ठोस काम करना सचमुच बहुत ही कठिन है। » « « बहुत लोगों की यह भ्रान्त धारणा बन गई है कि युवकों के विकास का मतलब यही है कि वे केवल कोम्सोमोल के कर्तव्यों क। पालन करने में लगे रहें। और कोम्सोमोल-कर्तव्यों के पालन का मतलब तो मुख्यत: राजनीति के ककहरे का ज्ञान हासिल करना और मार्क्सवाद का अध्ययन करना है; संक्षेप में , समाजी समस्याओं का ज्ञान प्राप्त करना है। मुझ लगता है कि मानव-निर्माण से संबंधित समस्याओं के बारे में इतना संकुचित विचार ग़लत है। मुक्ते उन दिनों की याद आती है जब हमारा विकास माउ्सवादियों के रूप में हो रहा था। हमने सिर्फ़ विशिट तौर पर मार्क्सवादी पुस्तकों का ही अध्ययन नहीं किया। चलते-चलते वता दूं कि उन दिनों ये पुस्तकें थीं भी वहुत कम। वरदनिकोव और स्वेतलोव की ही पुस्तक “राजनतिक ज्ञान का ककहरा” ले लें। यह बहुत बड़ी पुस्तक है। उस समय हम लोगों के पास सिर्फ़ 'ईरफ़ेट कार्यक्रम” ओर “कम्यूनिस्ट घोषणापत्र” ही थे। हां तो मे अंडरपग्राउंड सर्किलों (भूमिगत गोष्टियों) में होने वाले अध्ययन की बात कर रहा था; मा्कर्सवाद के बुनियादी सिद्धान्तों के अध्ययन के साथ ही हमने साधारण ज्ञान संबंधी पुस्तकें भी पढ़ीं--रूसी प्राचीन पुस्तकों से शुरू करके कहानी-लेखकों , इतिहासकारों , आलोचकों , सभी की; थोड़े में यह कि हमने कितावों में पाये जाने वाले सम्पूर्ण ज्ञान को पा लेने की चेष्टा की। इस प्रकार कारखाने में काम करते-करते हमें साहित्य, विज्ञान इत्यादि की चतुर्मुखी शिक्षा मिली। म कहना चाहता हूं कि यदि हमारे स्कूलों में कोम्सोमोल कर्तव्यों के पालन से गणित-शास्त्र के अध्ययन में रुकावट पड़ती है--गणित मं जान-बूभक कर कह रहा हूं, क्योंकि यह एक ऐसा विषय श्ढ




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