रचना की कार्यशाला | Rachana Ki Karayashala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : रचना की कार्यशाला  - Rachana Ki Karayashala

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुमन राजे - Suman Raje

Add Infomation AboutSuman Raje

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
५४. यना की कार्यशाला सच हैं कि राजनीति एक अलग स्वतंत्र इकाई बनकर जाहिर नहीं होती वरन्‌ समूचे तात्कतिक परिदृश्य का अंग बनकर सामने आती है । क्योंकि समकालीन सचाई, राजनििक कर्म इच्छा और तथ्यों से उलझी सचाई है और बिना राजनीति से दो चार हुंपे उसका साक्षाक्कार अधूरा और अप्रमाणिक रहेगा । राजनीति से सुरक्षित ससार इच्छित संसार है अतीतजीवी या भविष्यत्‌ पर समकालीन संसार नहीं | वाम-कविता, कविता को सिद्धान्तत४ एक हथियार के रूप में स्वीकार करती है परन्तु उसकी विफलता से धारणात्मक अवमूल्यन के नमूने भी खूब मिलते क्विता/ श्रन्दों की अदालत ने बुर के कटपरे नें खडे केक़दार जादनी का हतफबोस है / . अथवा - कविता में जाने हो प्रहले/ मैं छाप हो पुछता हूँ जनक इतसे न वोनी का सकती है न चोगा/ तो छापे कहो इस कुतरी काविला को नगिल के जगत किक ढोने मे कया होगा/ जापे जबाब दो/ मै इसका क्या कल / इस आन्दोलन की एक अनिवार्य परिणति यह हुई कि कविता और कविता से बह भी एक उग्र आक्रामकतता एवं हिंसा का आंक्रोश मिलता है :- मरे पाव/ अब िरफ़ बह जन्ति कविता रह गढ़ है। मिसकों कामद कर मे जाए लगने की छुचना है / अधवा - न तुखें वो कार की कुशी के लिए पता है हां की गत का कानूर फर हमें लायों करोड़ों की छुशी के िये पता हैं दो बार का छू मैं हत्यात हूँ कदून हैं अल्ठे यह इलजान - हरिहर दिवेदी अकविता हो या वाम कविता विद्रोह और आक्रोश दोनों के मूल में है, पर उनमें एक बुनियादी अन्तर है | अकविता अपना सारा विद्रोह देश की राजगीतिं के माध्यम से व्यक्त करती है, केवल अपने अहं के स्तर पर, एक मारक मुहावी के जरिये । मुक्ति प्रसंग की ये अन्तिम पंक्तियाँ इस युद्ध के सिद्धांत को अच्छी तरह स्पष्ट कर देती हैं - जादगी को तोड़ती नहीं हैं लोकतांत्रिक फद्धतियाँ। केवन पेट के बल उसे डक वेती है थीर-कीरे जफाहिय/ बीरि-कीरे नव बना लेने के ।निये छठी शिष्ट ताणभक्त देश आग गायरिक कया लेती हैं / जादगी को इस मोकतनी तार मे अनग हो जाया चाहिये/ चने घना चाहिए कल्हाकों गानाखो




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now