मानसिक दक्षता | Maansik Dakshata

Maansik Dakshata by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( शहर ) लिये यह राज मार्ग है। मानसिक दन्नता के लिये प्रयास करने से मन की शक्तियों का परिवरद्ध॑न तो दोता ही है, उसके साथ ३ शरीर के भी स्वास्थ्य योर घल को बनाये रखने में सहायता मिलती है । व्यक्ति 'हौर समाज दोनों दी के कल्याण छौंर उंत्यान के हेतु सब को ऐसा करना चाहिये । यदद तो सभी जानते हैं कि एक योर तो सम्यतता के उमड़ते हुए प्रवाह में दम पर कितने यड़े दयाव पड़ते हैं श्मौर दूसरी '्ोर यह किम न तो श्यपने प्राकृतिक बल के भंडार को बढ़ा सकते हैं न दिन में घन्टों की संख्या दी को । झतएव यहद तो आर भी '्ावश्यक है कि दम हर क्षण का पूरा-पूरा लाभ उठायें, उद्योग तथा उपाय को 'ग्धिक से 'ाधिक फल प्राप्ति के लिये सुन्यवस्थित करें । मनी वैज्ञानिक मानता है कि हम 'अपने सामधथ्य के चहुत बढ़े 'छंश को बिना चजह्द की रुकाबटों दूवारा भप्ट होने देते हैं, ठीक उसी तरह जेसे एक मोटरकार की कुल शक्ति उसके 'चौखेंटे, '्प्रभाग, लम्ब रूप दवा रफ़ने वाला शीशा, वेडींल रोशनी की बत्तियां और किनारे के भाग तथा सीघी लकीरों की बनावट के कारण इन सब चीजों को हवा के विरुद्ध ढकेलने में व्यर्थ जाती हैं। जैसे मोटर कार के घारायादी निभीण दूवारा कम से कम शक्ति के व्यय से अधिक से श्रधिक गति माप्त कराई गई है, ऐसे ही मनोमैज्ञानिक ढंग से मस्तिप्क को शिक्षित करने से दम '्पना काम करने की शक्ति को बहुत 'अधिक फलदायिनी यना सकते हैं “और ऐसा करना भी चाहिये । के




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