सोची - समझी | Sochi - Samajhi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)और यही
हमारी ज
16 / सांची समझी
बज
इशारे से उसने
बंदर को बुलाया।
बंदर गुर्यया-
खों खों
क्यों,
तुम्हारी नजर में तो
मेरा कलेजा है?
मगरमच्छ बोला-
नानानाना
ना भैया
तुम्हारी भाभी ने
ख़ास तुम्हारे लिए
सिंघाड़े का
अचार भेजा है।
बंदर सोचे
ये क्या घोटाला है,
लगता है जंगल में
चुनाव आने वाला है।
लेकिन बोला-
वाह]
अचार,
वो भी सिंघाड़े का,
यानी नदी के कबाडे का!
बड़ी ही दयावान
तुम्हारी मादा है,
लगता है शेर के खिलाफ
चुनाव लड़ने का इरादा है।
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