भारतीय संस्कृति | Bharatiy Sanskriti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : भारतीय संस्कृति  - Bharatiy Sanskriti

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about देवराज - Devraj

Add Infomation AboutDevraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
परलोकपरायण है। इस प्रकार के परीक्षक व व्याख्याता यह भूल जाते हैं कि भारतीय राष्ट्र तथा संस्कृति का ऐतिहासिक महत्त्व भी रहा है और उसने विद्व की संस्कृति तथा सभ्यता की अग्रगति में महत्त्वपूर्ण योग दिया है। एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिस वेदान्त दर्शन के आलोक में भारतीय संस्कृति की निवृत्तिमूलक व्याख्या की जाती है उसका प्रतिपादन और विकास भारतीय एवं हिन्दू संस्कृति के उत्कषकाल के बाद में आ। थ इस पुस्तक के प्रारम्भ में, आलोच्य विषय की समग्र दृष्टि के लिए, वेदों, ब्राह्मणों तथा उपनिषदों की थोड़ी-सी चर्चा आयी है। इसके बाद रामायण-महाभारत में निहित सांस्कृतिक चेतना को लक्षित करने का प्रयत्न किया गया है। इसके परुचात कालिदास, भारवि और माघ, श्रीहर्ष तथा तुलसीदास के काव्यों में निबद्ध मूल्य-दृष्टियों का उद्घाटन हुआ है। पुस्तक के कलेवर में महाकवि अद्वघोष के “बुद्ध-चरित' का विशेष उपयोग नहीं हो सका है, यद्यपि उसकी चर्चा जगह-जगह आयी है। वस्तुत: लेखक उस काव्य को इस पुस्तक की योजना में ठीक से बैठा नहीं सका। यों अश्व- घोष की कृति, वाल्मीकि की 'रामायण' तथा कालिदास के “रघुवंश' के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है; संस्कृत काव्य-देली के विकास में उसका महत्त्व- पूर्ण स्थान है। इस स्थान को ददित करने के लिए ही परिशिष्ट में उसकी कथावस्तु का भी निर्देश कर दिया गया है। संस्कृत ग्रन्थों के उद्धरणों का समावेश करने में यहाँ विश्षेष नीति बरती गयी है। इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों तक सिफं सुचनाएँ पहुँचाना नहीं है; उन्हें कुछ व्याख्या-सूत्रों से परिचित करा देना भर भी उद्दिष्ट नही रहा है। इस पुस्तक के लिखने में लेखक का लक्ष्य रहा है 'पाठकों में भारतीय संस्कृति के मूल्यों की जीवन्त अवगति या चेतना उत्पन्न करना।' इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दो तरह के उद्धरणों का समावेदा ज़रूरी समझा गया है--वे जो वक्तव्य की प्रामाणिकता तथा प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं, और वे जो अपने में सुन्दर अथवा संग्राह्म हैं। प्रामाणिकता के लिए प्राय:




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now