विज्ञानांजलि | Vigyananjali

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Vigyananjali by शिवगोपाल मिश्र - Shiv Gopal Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विज्ञानांजलि योगदान भौतिकविज्ञानियों का कथन है- ““देखते नहीं होते हैं जब हम नारंगी, नारंगी नहीं होती”' इसीलिये कहता हूँ... रूपसी ! इतराओ नहीं तुम्हारी तथाकथित सुन्दरता और रूपराशि कुछ नहीं- हमारी तंत्रिकाओं व ज्ञानेन्द्रियों की प्रतिवर्ती क्रिया के माध्यम से केवल हमारा ही योगदान है। * प्रेमानन्द चन्दोला, “केशिका' 1991 से उदुधृत . प्र




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