विज्ञानांजलि | Vigyananjali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शिवगोपाल मिश्र - Shiv Gopal Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विज्ञानांजलि
योगदान
भौतिकविज्ञानियों का कथन है-
““देखते नहीं होते हैं जब हम
नारंगी, नारंगी नहीं होती”'
इसीलिये कहता हूँ...
रूपसी ! इतराओ नहीं
तुम्हारी तथाकथित सुन्दरता और रूपराशि
कुछ नहीं-
हमारी तंत्रिकाओं व ज्ञानेन्द्रियों की
प्रतिवर्ती क्रिया के माध्यम से
केवल हमारा ही योगदान है।
* प्रेमानन्द चन्दोला, “केशिका' 1991 से उदुधृत .
प्र
User Reviews
No Reviews | Add Yours...