श्री भगवत गीता | Sri Bhagavad Gita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
56.73 MB
कुल पष्ठ :
694
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इद ते नात
इदे शरीर
इद ज्ञानमु
इन्द्ियार्थेषु
इश्थरस्सव
उत्कामन्ते
उत्तम: पुरुष
उदासीनव
उपद्ष्टानु
ऊध्चे गच्छ
ऊध्वमूठमघ
ऋषिभिषंहुधा
एतान्यपि तु
एतां दृष्टिमव
एतेविंमुक्त:
ओं त्सदिति
कंचिदेतच्छ्त
कटूबम्ठव
कर्मणस्पुकत
कशयन्त;
काममाश्रित्य
काम्यानों
कार्यकारण
कयमिस्येव
कषिगौरक्ष्य
केर्लिज्ेख्िगु
केत्रशेलज्यो
क्षेत्रशे चापि
गामाविदियय
गुणानेतान्
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कक
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श्ीमड्रगवद्रीता-अकारादि
चिन्तामपरि
चेतसा सवकर्मा
उ्योतिषामपि
ज्ञान कमेच
ज्ञान शेप
जेये यत्तख
तत; पढे
तथच सेस्पृत्य
तत्र सत्त्वं
तलब सहि
तत्मेत्रे यचच
तदित्यनभि
तमस्त्वज्ञान
तमेब शरण
तस्माच्छा
तस्मादोमि
तानहैं ट्रिष
तेज; क्षमा
त्याज्य दोष
लिविघा भव
लिविधं नरक
दम्भो दुर्पो
दातब्यमिति
दुख;मिश्येव
देवद्विजगुरु
देवी संपट्टि
द्वाविमों पुरुषी
दो भूतसगी
घृत्या या.
ध्यानेनः
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ही
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नच तस्मान्म
न तदस्ति
न तद्भासयते
न द्रे्ठइचकु
न रूपमस्थेह
नष्टों मोह:
नहि देदभू
नार्न्य॑ गुणे
नियतस्थतु
नियत सड्र
निर्मानमोहा
निश्चय श्ूणु
पश्चेतानि
परे सच '
पुरुष; अकक
एथक्त्वेन
प्रक दापव
प्रकृर्ति पुरुष
प्रकृत्येव
प्रदर्ति च
प्रदूर्ति च
बहिरन्तथ्य
बुद्रेंद ध्रृते
बुद्झण दिशु
त्रह्मणो हि
न्रह्मभूत;
त्राह्मणक्षलिय
भक्तया माम
मचित्तस्सवदू
मन: पाने,
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