श्री हर्ष के तार्किक ब्रह्मवाद का परीक्षण | An Examination Of Dialectical Absolutism Of Shri Harsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 शब्द, अर्थापच्ति और अनुपलब्धि रूप छः प्रकारों के लक्षणों, का खण्डन किया गया । इसके बाद असिद्ध, विरूद्ध सन्यभिचार, द्त्प्रतिपक्ष और बाघ इन पांच हेत्वभासों के लक्षणों का खण्डन किया गया है। द्वितीय परिच्छेद॒ में प्रतिज्ञाहानि प्रतिज्ञान्तर, प्रतिज्ञाविरोध प्रतिबंदी और अपसिद्धान्त इन पॉच निग्रह स्थानों का खण्डन किया है । तृतीय परिच्छेद में केवल किंशब्दार्थ के निरवचन का खण्डन किया है । चतुर्थ परिच्छेद में भाव, अभाव, विशिष्ट, द्रव्य, गुण, कर्म विशेष, जाति (सामान्य) आधार, विन्वय-विश्वयी भाव, भेद, करणत्व, वर्तमानादि काल, प्रागभाव, ध्वंसाभाव, संशय, भावाभाव-विरोध और तर्क का खण्डन किया है । इस तरह कुछ प्रमुख पदार्थों का खण्डन करने के पश्चात्‌ श्री हर्ष ने यह भी कह दिया कि जिन लक्षणों का विस्तार भय से, यहाँ खण्डन नहीं किया गया है, उनका भी इन्हीं युक्तियों या इन्हीं के समान अन्य युक्तियों से खण्डन कर लेना चाहिये ' । खण्डन की टीकार्ये - ।3वी शदी से लेकर 19वी शदी तक खण्डनखण्डखाद्य पर अनेक टीकाएँ लिखी गयी हैं। उनमें से निम्नलिखित टीकाएँ उल्लेख योग्य हैं - टीकानाम _ लेखक का नाम । - खण्डनखण्डनमु कि परमानन्द 2 - खण्डनमण्डनमृ द भवनाथ द्वितीय 3 - खण्डनदीधिति रघुनाथ शिरोमणि 4ू खण्डन प्रकाश वर्धमान 5 - विद्याभरणी पी विद्याभरण 6 - (विद्यासागरी) खण्डनफक्किविभजन - आनन्दपूर्ण विद्यासागर 7 खण्डनटीका वी बलभद्र मिश्र पुत्र पदमनाभ पंडित | आ रा ऊ ऊ उ उउ उ उ उ उ ज उज आ आ आ . अ .. आ. . । । ... ततुल्योहस्तदीथूँ च योजनं विषयान्तरे 1. खण्डन. पृष्ठ 579.




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