वातायन | Vatayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे फोटोग्राफी
जी, देखिए म दिल्ली रहता हूँ, आप लाहौर जा रही हैं । मेरा आपका
परिचय भी नहीं है । इस दिनको छोड़कर शायद फिर कभी मिलना भी
न होगा । मै व्यवसायी फ़ोटोग्राफर भी नहीं हूँ । आपको मैं वचन देता
हूँ, भरे पास तस्वीर रहनेमें, आपका कुछ भी अहित न होगा ।
मॉने फिर अपनी साधिनकी ओर देखा; पर उनकी तो तस्वीर
खिंची न थी । मौँने कहा--आप अख़बारमें भेज देंगे, अपने यहाँ
लगा लेंगे ।
रामेश्वरने तुरंत कहा--मैं वचन देता हूँ, न मैं ठगाऊँगा, न कहीं
मभजूँगा; पर आप मेरा परिश्रम व्यर्थ न कीजिए |
मौँको विश्वास हो चुका था, कि यह बात लाहौरमें बालकके पिता
तक अवश्य पहुँचेगी । वह बेचारी कया करतीं £ बोलीं --नहीं आप
तोड़ ही दीजिए ।
वह इतना अविश्वासी समझा जा रहा है, इसपर रामेश्वर भीतरस
बड़ा घुट रहा था | इच्छा हुई कि सच-सच वात कह दूँ; पर व्यान
हुआ--उसे सच कौन मानेगा ! मैं कहूँगा, तस्वीर नहीं खिंची, सिर्फ
बाठककों वहलानेको तमाशा किया गया था, तो कोई यकीन न करेगा |
वह समझेंगी--मे तस्वीर रखना चाहता हूँ, इससे झूठ वोता हूँ और
बहाने बनाता हूँ । रामेश्वरको इस ठाचारीपर बहुत दुःख हुआ; परन्तु
उसने कहा--अगर आप कहेंगी, तो मैं तस्वीरको तोड़ ही दूँगा; पर
मैं फिर आपसे कहता हूँ, मैं दिल्ली चला जाउँगा । फिर आपके दरसन
कभी मुझे नहीं होंगे । अगर आपकी तस्वीर मेरे पास रही भी, और
मैंने टॉँग भी ढी, तो इसमें आपका क्या हजे है ? देखिए, बाठक
श्यामका चित्र मेरे पास रहने दीजिए । आपके चित्रके बारेमें मैंने आपसे
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