हिंदी के आधुनिक महाकाव्य | Hindi Ke Adhunik Mahakavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
503
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र हिन्दी के श्राघुनिक महाकान्य
महादेवी वर्मा कविता के सम्बन्ध में कहती हैं 7 भ
'प्सनुष्य स्वयं एक सजीव फविता है। फदि की कृति तो उस सजीद कविता छा
डाव्दचिर-मात्र है, जिससे उसका व्यवितत्व श्रौर संसार के साथ उसकी एकता जानी
जाती है ।”
“सत्य काव्य फा साध्य घ्ौर सौन्दर्य उसका साधन है* 1”
आधुनिक हिन्दी-कविता में छायावाद श्रीर प्रगतिवाद का विद्योष श्रादर है। वर्तमान
कवियों तथा लेखकों की काव्य-स्वरूप-विपयक घा रणाएँ मुख्यतया छायावादी और प्रमतति-
वादी दृष्टि-कोणों से प्रभावित्त हें । छायावादी कवि कविता में आदरशवाद को श्रौर प्रगति-
वादी यथार्थवाद को प्रघानता देते हैं । छायावादी दृष्टिकोण कविता में व्यक्तित्व, कल्पना
श्रीर झ्रभिव्यक्ति-सौप्ठव को विशेष महत्त्व देता है किन्तु प्रगतिवादी कवि काव्य में सामु-
दायिक जीवन की अभिव्यक्ति, यथाथंता श्री र व्यावहारिकता देखना 'वाहते हूं। वास्तव
में प्राचीन काल से लेकर श्रव तक भारत में काव्य स्वरूप-सम्वन्धी घारणाएँ भ्रनिश्चित-
सी चली झा रही हें । काव्य के स्वरूप के परिवर्तन-शील होने के कारण इन धघारणाशओों में
श्रनिश्चितता का होना स्वाभाविक भी है ।
पाइलात्य विद्वानों ने भी काव्य के स्वरूप का विवेचन करते हुए काव्य की मिनन-
भिन्न परिभाषाएँ मिश्चित की हैं। उनमें से कुछ परिभाषाएँं यहाँ उदूघृत की जाती हैँ :-- .
जानसन के मत में कवित्ता 'छन्दोवद्ध रचना' है । कारलायल 'संगीतमय विचार'
को कविता मानते हैं । शेली का कथन है--'साघारण अर्थ में फत्पना की भ्रभिव्यक्ति को
कविता कहा जा सकता है* ।' हैजलिट के विचार में 'कविता कत्पना श्रौर भावनाप्ों की
भाषा हु + वर्डस्वर्थ का कथन है--“फविता प्रवल मनोवेगों का स्वच्छन्द प्रवाह हि* ।' मेथ्यू-
श्रात॑ल्ड के अनुसार “कविता मूलतः जीवन को व्याख्या हे? । रस्किन के मत में 'कबिता
१. महादेवो का विवेचनात्मक गद्य, पृष्ठ ४१
र. महादेवी का विवेचनात्मक गद्य, पृष्ठ १ ।
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