सूक्ष्म एवं व्यापक - अर्थशास्त्र | Sukshm Evm Vyapak Arthashastra
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
456
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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गे सूदर एवं
अब्ययन है. ! स्पापक मर्थशास्त्र के अध्ययन के बेस्द्र-विन्दु राष्ट्रीय जाय सौर रोलगार हैं,
इसलिये कभी कभी इसे राष्ट्रीय आय विस्तेपण (ए8003ादा एटा शाादाधड5) भो
कहते है । इसके अतिरिक्त इसम कुल उत्पादन, सामान्य मूल्य स्तर, मुदा तथा बैकिंग
को भ्रमस्यायें, विदेशी व्यायार तथा राजस्व का अध्ययन किया जाता है ।
व्यापक, भ्रयंशास्थ्र के श्रध्ययन से वृद्धि करने वाले कारण
जैसा बि पुर्वे मे सबंत दिया गया है कि व्यापक विश्तेषण को वैज्ञानिक रूप प्रदान
करते का श्रेय कीन्स को है, यद्यपि कीन्स से पहले भी अर्यशास्मियों ते व्यापक विश्लेषण
का प्रयोग क्या लेबिने वीर की पुस्तक “जनरल ध्योर” ने इस विश्लेपण की नीव वो
अधिक भजयूते कर दिया | व्यापक विस्लेपण की अधिक लोकप्रियता के प्रमुस कारण
निम्नतिषित हैं >-
मे
रो
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दो
गो
प्रसचिक मन्दी (८०प्रशा० ८ा655100]--व्यापक आर्थिक विर्लपण कै प्रयोग
में तात्वालिक वृद्धि का कारण १९२६-३२ को महान आर्थिक मन्दी थी, जिसके
परिणामस्वरूप समाज में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी उत्प्न हों गई। इस समस्या
के हल करने के लिये अपशास्त्रियो ने व्यापक हष्टिकाण की अपनाया 1
राष्ट्रीय लाभाश [रि8्0णाव दशर्टड्ती--डॉ. माशंल द्वारा प्रतिपादित राष्ट्रीय
लाभाश का विचार भी व्यापक, अर्थशास्त्र के विकातत का महरंवपुर्ण कारण बना 1
मार्शल ने एक व्यक्ति थी आप के स्यान पर सरपूदिक आय का अध्यमत्त किया 1
इसके पश्चात् पीगु मौर फिशर ने इस विश्लेपण को आगे बढाया ।
भुपतानों का चक्रीद प्रवाह ((एा८७87 पिठक 0. छ़यक ता!) --प्रइतिवादी अरे
शास्तियों (ए४51021465] की दस घारणा को, कि समाज की कुल आय समाज के
भिन-सित वर्गों थे चक्र वे रूप में घूमती है, व्यापक विश्लेषण का पर्याप्त प्रौप्लाइन
मिला ।
मुद्दा का सिद्धात (19८०४ 0 एाणाद्क--मुद्दा के सिंद्धान्ती मे किसी व्यर्तति के
स्वान पर सम्पूर्ण समाज पर मुद्रा के पड़ने वाले प्रभाव वा अव्ययन बिया जाता
है। मुद्दा के मूल्य-निर्वारण में कुन प्रमावदूर्ग माग, कुल पूर्ति, कुल विनियोग,
कु वचत तथा उपभोग आदि का. अयययन होता है, जिससे व्यापक अपशास्त्रीय
विदलेषण के विवास को सहयोग प्राप्त हुआ 1
व्यापार च (ए2तट <शटाट्डो--व्यापार चका का अध्ययन सम्पूर्ग अयंड्यवस्या
को एक इवाई मानकर किया जाता है । इस प्रवार ब्यापार चक्र भी इस विश्लेषण
के विकास मे सहायक सिद्ध हुआ है ।
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