हिन्दुस्थान समाचार वार्षिकी 1974 | Hindusthan Samachar Varshiki 1974
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
666
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दे
उत्तर मे स्थित द्विमालय साधारणत भारत वो एशिया के शेप सू भाग से झलग
करता है। यह विश्व की सर्वोच्च पवतमाला है! मारत के पश्चिम व परिचिमततिर मे
पाकिस्तान वे श्रफगामिस्तान, उत्तर में पूव से पश्चिम चौनी तुर्िस्तान (सिंश्यिंग),
लिव्वत व नेपाल हैं । पश्चिम मे बर्मा है । बंगला देश, पश्चिमी बयात वे मसम के दक्षिणी
अचल के बीच स्थित है। उत्तर मे सिक्रिम व भूटान विशेष संचधिया के भ्रतगत भारत से
सम्बद्ध हैं । दलिण मे श्रीलका द्वीप है जिसे मन्नार की साढी भारत से अलग करती
ह। बयाल की खाही में स्थित प्रडमान तथा निकोजार दीप समूह शौर प्ररव सागर के
सलदषयदीप मिनौरँय तथा शमीन दीदी द्वीपनसमूह भारत सप के भ्रतगत हैं ।
भारत लघु विश्व ह। इस कारण राष्ट्रीय '्ोसत तापसान' झौर श्रौसन वर्षा इन
शब्ता का भारत वे लिए कोई ध्य नहीं है । राजस्थान की सरूमूमि से भौसत वार्षिक वर्पा
' इच हात! है पर चेरापूजी में ४२४५ इच होती हु । इसी प्रकार कश्मीर के कुछ स्थानों
मे ययनत्म तापमान ४०९ फारनह्वाईट रहता है भौर राजस्थान के कुछ स्थाना में श्रघिकतम
तापमान १२०९ एफ रहता हैं । इसलिए स्थानीय श्रीसत की बात की जा सकती है
भारतीय था राप्ट्रीय भौसत की नहीं 1
देश के विस्तार क श्रनूपात मे समृूद्रतट कम है क्याकि खाड़िया झोर उप घाडियां
की सब्या कम है। भारत का पश्चिमी समुद्र तट चट्टानी है । पूव मे समुद्र उयला है भरत
महासागर गामी चढ़ जहाज द्रर से लगर डालने का बाध्य हांत हैं 1
ध्राकृतिक सरचना
लीन प्राइतिक साथ. प्राइतिंक दृष्टि से भारत तीन क्षेत्र मे विभव्त है
(१) हिमालय का पवत्तीय क्षेत्र। (२) गंगा सिध्ु का मदान भर (३) देक्षिणी पठार ।
हिमालय भारत के उत्तर स हिमालय पवत धेणी २५०० विलोमीटर की' लम्बाई
मे पूव से पश्चिम तक पतली हुई है । इसवी चौड़ाई २४० से ३२० कि० मी० है। इस पवतत
श्रेणा के पहाड़ी, धाटिया, पठारा आदि का कु क्षेत्रकल ५ साख किलोमीटर है। पूब में
वर्मा श्रौर भारत के मध्य की पवतीय लीवार को पतकोई क्हूत हैं । असम में जयन्तिया
खासी भ्ीर गारो शादाए हैं । हिंमारय की पूर्वी शाखाएं असम से नीचे उतशकर चगात
की थाड़ी तक जा पहुंचती हैं । उत्तर पश्चिम शाखाएं अफयानिस्तान की सीमा के स्पश
करती हुई भ्ररद सागर तक जा पहुंचती हैं । उत्तर पश्चिम शायाया मे सुवेमान काघार
दिलकश भादि पदत प्रसिद्ध हैं। पफगाचिस्तान की सीमा पर सुलेमान पवत में सैबर,
खुरम, गरामर, वोलन टोची आदि सहीय साग (दरें) हैं । भारत पर प्रारम्भिक झाक्ररण
इटी दरों स हुए ।
हिमावय प्रकत को तीन भागों मे विभाजित क्रिया जा सकता है. महान हिमालय
लघु या मध्य हिमात्तय एवं शिवालिक पहाडिया ।
महान हिमालय. यह साय वर्फीला है । इम भाग की ऊचाई साधारणत ६ ०००
से ७,००० मीटर तक है । विश्व के उच्चतम पवतत शिवर इसी भाग मे हैं। एवरेस्ट
(योरीशवर) ८,पर४८ मीटर कचनजया ८,४८६ मीटर, घोलागिरि ८ ०३५ मीटर नन्दा
देवी ७ ८१६ मौटर, वामत ७ ७१४ मीटर तथा प्रश्नपूर्णो ७ ६४० मोटर ऊचे हूँ ३
लघु या मध्य हिमालय में महान हिमालय के निचती ढलान में 3 भ०० से दे ०००
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