आक्रन्द - सूत्र | Aachrand-sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
67
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट आयारंग-सुस॑ [ उद्दे०
लि था पा तय पपाापपयणण जनपजपथण जन सजपजजालजपय
पारिशयजन्ति तथा परिव्यफ्रुूजा भणनाय ). . . सरणाए वा ।
(रे) जाणितु दुक्ख पत्तये-ताय
भोगामेव अणुस्रोयन्ति--इदद मेगेसिं माणवाण-तिविदेण ....( यया७,1९-२९ नवर अवहरदइ
श्याने हरइ भणनीय ) ....विप्परियासुवेद:---
6 (३) मास च छन्द च विरगिंच धीरे, तुम चेव,
त सछ आहट्ड| जेण सिया, तेण नो सिया ।
दणमेव नावबुज्सन्ति जे जणा मोह-पाउडा
थीमिं लोए पव्चहिए; ते भो वयन्ति: ' एयाइ आययणाइ ” । से दुक्खाएं मोद्दाए
माराए नरगाए नरब-तिरिक्खाए ! सयय मूढे धम्म नाभिजाण्द ।
10 उयाहु वीरे, अप्पमाओ महा-मोदे !
( ४ ) भल कुसलस्स पमाएण सन्ति-मरण संपेहाए, भेउर-धम्म संपेहाद !
“' नाल पास ''--अछ तव एएहिं !
एय पास, मुणी, मदब्भय, नाइवाएज्ज कचण ।
एस वीरे पससिए, जे न निव्विज्इ आयाणाए
16 ' नमे देश” न कुप्पेज़ा, थोव लघ्दु न खिंसए,
पट्सिदिओ परिणमेज्ञा ।
एयं मोण समणुवासेज्जाति--त्ति बेमि ॥
२-५
( १ ) जमिण विस्व रुवेहि सत्यहिं लोगम्स कम्म-ममारम्भा कउज्नन्ति, त-जहा;
अप्पणो से पुत्ताण घूयाण सुण्हाण नाईण धाइईण राइण दासाण दानीण कम्म-कराण कम्म-
20करीण आाएलाए, पुढो पहेगाए, सा'मासार पायरासाए सत्तिहि-सन्िचओ कज्मइ ( २ ) इृह
मेगेतिं माणवाणं भोयणाए
समुद्बिए अणगारे आरिए आरिय-पत्ने आरिय-दूसी
' अय सधी ' ति अददक्खु मे नाइए नाइयावणए न समणुजाणाइ |
सब्वामगन्घे परिन्नाय निरामगन्धे परिव्वए । कल
35 ( ३ ) अदिस्ममाणे कय-विक्रण्सु
से न किणे, न किगावणए, किंणन्त न समणुजाणए । से भिक्खू कालले बलने मायले
खेयल्ने खणयलते विणयन्ने स-समयल्ने पर-समयतने भाव ले,
परिग्गह, अममायमाणे,
काले 'णुट्टाई अपडिन्ने, दुदओो
30 छिता नियाइ ।
बत्थ पड़िग्गहद,
कम्नक पा्थ-पुन्छण ओोग्गदद च कदासण:
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