आक्रन्द - सूत्र | Aachrand-sutra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Aachrand-sutra by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ट आयारंग-सुस॑ [ उद्दे० लि था पा तय पपाापपयणण जनपजपथण जन सजपजजालजपय पारिशयजन्ति तथा परिव्यफ्रुूजा भणनाय ). . . सरणाए वा । (रे) जाणितु दुक्ख पत्तये-ताय भोगामेव अणुस्रोयन्ति--इदद मेगेसिं माणवाण-तिविदेण ....( यया७,1९-२९ नवर अवहरदइ श्याने हरइ भणनीय ) ....विप्परियासुवेद:--- 6 (३) मास च छन्द च विरगिंच धीरे, तुम चेव, त सछ आहट्ड| जेण सिया, तेण नो सिया । दणमेव नावबुज्सन्ति जे जणा मोह-पाउडा थीमिं लोए पव्चहिए; ते भो वयन्ति: ' एयाइ आययणाइ ” । से दुक्खाएं मोद्दाए माराए नरगाए नरब-तिरिक्खाए ! सयय मूढे धम्म नाभिजाण्द । 10 उयाहु वीरे, अप्पमाओ महा-मोदे ! ( ४ ) भल कुसलस्स पमाएण सन्ति-मरण संपेहाए, भेउर-धम्म संपेहाद ! “' नाल पास ''--अछ तव एएहिं ! एय पास, मुणी, मदब्भय, नाइवाएज्ज कचण । एस वीरे पससिए, जे न निव्विज्इ आयाणाए 16 ' नमे देश” न कुप्पेज़ा, थोव लघ्दु न खिंसए, पट्सिदिओ परिणमेज्ञा । एयं मोण समणुवासेज्जाति--त्ति बेमि ॥ २-५ ( १ ) जमिण विस्व रुवेहि सत्यहिं लोगम्स कम्म-ममारम्भा कउज्नन्ति, त-जहा; अप्पणो से पुत्ताण घूयाण सुण्हाण नाईण धाइईण राइण दासाण दानीण कम्म-कराण कम्म- 20करीण आाएलाए, पुढो पहेगाए, सा'मासार पायरासाए सत्तिहि-सन्िचओ कज्मइ ( २ ) इृह मेगेतिं माणवाणं भोयणाए समुद्बिए अणगारे आरिए आरिय-पत्ने आरिय-दूसी ' अय सधी ' ति अददक्खु मे नाइए नाइयावणए न समणुजाणाइ | सब्वामगन्घे परिन्नाय निरामगन्धे परिव्वए । कल 35 ( ३ ) अदिस्ममाणे कय-विक्रण्सु से न किणे, न किगावणए, किंणन्त न समणुजाणए । से भिक्खू कालले बलने मायले खेयल्ने खणयलते विणयन्ने स-समयल्ने पर-समयतने भाव ले, परिग्गह, अममायमाणे, काले 'णुट्टाई अपडिन्ने, दुदओो 30 छिता नियाइ । बत्थ पड़िग्गहद, कम्नक पा्थ-पुन्छण ओोग्गदद च कदासण:




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now