भगवती कथा खंड - ४ | Bhagvati Katha Khand-vi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
छोग यद न कहें कि जन्म कम में तो यह एक परीक्षा में बैठा,
उसमें भी छासफल रदा । नाम तुम्दारां बदनाम दोगा। मैं तो
'पा्परोडहं पापकर्माइड एपात्सा पाप समय रटत! हो हूँ। श्पने
नाम की लांज सम्द्दारो ।
“जाइगी ल्लाज हु्ारी नाथ / मेरो का बिगेरेगे! ।
है पशुषति शिव क्लिनाय सम दानी 'सीसर |
हे हर शंकर राम्मु सतीपि 'सलरा गोचर ॥
है मिने्र विषयारि मत सबके. सामी।
है अन. मच्युत झलित जगपति अस्तर्योगी ॥
रहे मा, जगदस्पा जननिं 1 मेने बाबा ते कहो ।
चयी बहरे बैठे बने, च्यों निज शिशु हुर्गति सही ॥
श्रावण, स० १००५ वि
ही नामसुस्त महाचारी
सकीतन भयन, भसी ( प्रयाग 2
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